

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोक नहीं पा रही है। पिछले साल अगस्त महीने में अंतरिम सरकार के गठन के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा में इजाफा हुआ है। मगर अब बांग्लादेश की छात्राओं के सब्र का बांध टूटने लगा है। देशभर में हिंसा के खिलाफ छात्राएं सड़कों पर उतरने लगी हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अब बातों से काम नहीं चलेगा।
मौत की सजा की उठी मांग
बांग्लादेश के पश्चिमी मगुरा जिले में दुष्कर्म के बाद 8 साल की मासूम जिदंगी की जंग लड़ रही है। गंभीर हालत में उसे राजधानी ढाका के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना से पूरे देश में आक्रोश है। महिला कार्यकर्ताओं ने बिना देरी दुष्कर्मियों को मौत की सजा देने की मांग की।
मौत की सजा की उठी मांग
बांग्लादेश के पश्चिमी मगुरा जिले में दुष्कर्म के बाद 8 साल की मासूम जिदंगी की जंग लड़ रही है। गंभीर हालत में उसे राजधानी ढाका के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना से पूरे देश में आक्रोश है। महिला कार्यकर्ताओं ने बिना देरी दुष्कर्मियों को मौत की सजा देने की मांग की।
बातों पर भरोसा नहीं… अब एक्शन चाहिए
रफीजा ने कहा कि हम बहुत लंबे समय से चुप हैं। सरकार हिंसा को रोकने का कोई कदम नहीं उठा रही है। हमें सिर्फ शब्दों पर भरोसा नहीं है। हम ईमानदारी से एक्शन चाहते हैं। हम इसी वक्त से न्याय की मांग और बदलाव चाहते हैं। मगर मौजूदा समय में हमें कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
5 अगस्त को क्या हुआ था?
पिछले साल जुलाई में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में छात्रों का आंदोलन भड़का था। बाद में यह आंदोलन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हो गया। ढाका में हिंसक घटनाओं के बाद 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा के दौरान बांग्लादेश में 1400 से अधिक लोगों की जान गई। शेख हसीना के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। अब यूनुस के खिलाफ छात्राओं का गुस्सा बढ़ रहा है।
