

बाबा की डोली एक मई को केदारनाथ धाम पहुंची थी और दो मई को केदारनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी केदारनाथ धाम पहुंचे।
केदारनाथ धाम के कपाट दो मई (शुक्रवार) से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पहले दिन उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी केदारनाथ धाम पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए और पहले दिन यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं से भी मिले। पुष्कर सिंह धामी धाम के कपाट खुलने से पहले श्री केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने पहले दिन दर्शन के लिए यहां मौजूद श्रद्धालुओं से बातचीत भी की। हर साल ठंड के मौसम में बर्फबारी के चलते केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और गर्मियों में कपाट दोबारा खोले जाते हैं। सर्दियों में छह माह बंद रहने के बाद केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिए गए और इस मौके पर हिमालय स्थित इस मंदिर को देश-विदेश से मंगाए गए विभिन्न प्रकार के 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया।
श्री केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं के ऊपर पुष्पवर्षा भी की गई।
मंदिर को सजाने के लिए 150 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया और उनमें से हरेक स्वयं को धन्य मानता है कि उसे भगवान शिव की सेवा करने का अवसर मिला। केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 11,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर को सजाने में जुटे स्वयंसेवकों की टीम का नेतृत्व कर रहे गुजरात के वडोदरा निवासी सृजल व्यास ने बताया कि सजावट के लिए गुलाब और गेंदा समेत 54 प्रकार के फूलों का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि ये फूल दिल्ली, कश्मीर, पुणे, कोलकाता और पटना के अलावा नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका से लाए गए हैं। व्यास ने बताया कि गेंदे के फूल विशेष रूप से कोलकाता के एक खास गांव से लाए जाते हैं, क्योंकि स्थानीय किस्म के विपरीत ये जल्दी मुरझाते नहीं हैं और औसतन 10-15 दिनों तक ताजा बने रहते हैं।
गढ़वाल राइफल्स बैंड ने भक्ति धुनें बजाईं
श्री केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने पर भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स के बैंड ने भक्ति धुनें बजाईं। मंदिर की सजावट के लिए पहुंचे भक्तों ने कहा ‘‘हमें यहां आने में काफी परेशानी हुई। हमारी ट्रेन रद्द हो गईं और हममें से कई लोगों को हवाई जहाज से आना पड़ा। घोड़ों की अनुपस्थिति में हमें मंदिर सजाने के लिए इतनी ऊंचाइयों पर फूल लाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।’’ व्यास ने कहा, ‘‘लेकिन हम सभी अपने प्रिय भगवान की सेवा करने का अवसर पाकर बहुत खुश हैं।’’ उनकी टीम के अन्य सदस्यों ने भी मिलती-जुलती भावनाएं प्रकट कीं। एक अन्य सदस्य तपन देसाई ने कहा, ‘‘यह जीवन भर का अनुभव है। भगवान शिव के मंदिर को सजाने का अवसर मिलना एक दुर्लभ आशीर्वाद है। मेरी पत्नी और मेरा 10-वर्षीय बेटा भी मेरे साथ आए हैं।’’
खराब सेहत के बावजूद पहुंचे भक्त
देसाई ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद मेरी पत्नी यहां भगवान की सेवा के लिए आयी है। मैं ऐसा अवसर देने के लिए सृजल भाई का हृदय से आभारी हूं।’’ व्यास ने कहा कि वह भगवान केदारनाथ के घर को ऐसे सजा रहे हैं जैसे हम शादी के लिए अपने घर को सजाते हैं । मंदिर के सौंदर्यीकरण के काम में पश्चिम बंगाल के 35 कलाकारों ने भी मदद की है। सर्दियों के दौरान उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में रखी जाने वाली भगवान शिव की मूर्ति फूलों से सजी पालकी में गौरीकुंड से रवाना होकर शाम तक केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी। केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भीमाशंकर लिंग ने कहा कि शुक्रवार सुबह सात बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर को खोलने के लिए तैयारियां सुबह छह बजे से प्रारंभ कर दी जाएंगी।
मंदाकिनी और सरस्वती के संगम पर होगी भव्य आरती
बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल ने यहां बताया कि इस बार केदारनाथ में श्रद्धालुओं को एक नयी बात देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि काशी, हरिद्वार और ऋषिकेश मे होने वाली गंगा आरती की तर्ज पर इस बार यहां मंदिर के किनारे मंदाकिनी और सरस्वती के संगम पर ‘भव्य आरती’ शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरती के लिए सभी व्यवस्थाएं कर ली गयीं हैं। उन्होंने बताया कि दोनों नदियों के संगम पर तीन ओर से रैंप बनाए गए हैं, जिससे श्रद्धालु उसके दर्शन कर सकें। थपलियाल ने बताया कि मंदिर के सामने स्थित नंदी की मूर्ति और मंदिर के निकट बनी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को भी इस बार फूलों से सजाया गया है।
