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बिहार में शिक्षकों के लिए अच्छी खबर

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शिक्षा विभाग के नए आदेश से बढ़ी DEO-DPO की मुश्किल
बिहार में शिक्षकों के वेतन और सेवांत लाभों के भुगतान में देरी पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। इसके लिए अब जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) को जवाबदेह ठहराया जाएगा। वेतन भुगतान में किसी भी तरह की देरी होने पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। विभाग ने निगरानी के लिए एक सेल भी गठित किया है।
शिक्षकों को वेतन और सेवांत लाभ भुगतान में देरी होने पर अब जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। वेतन, बकाया राशि और सेवांत लाभ आदि भुगतान में देरी की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि यदि वेतन आदि भुगतान में विलंब होता है तो संबंधित डीईओ और डीपीओ को इसका जवाब देना होगा। 

वेतन देरी पर डीईओ-डीपीओ जवाबदेह

शिक्षा विभाग के मुताबिक राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को समय से वेतन भुगतान और सेवानिवृत्त शिक्षकों को सेवांत लाभ का भुगतान सुनिश्चित करना जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की जवाबदेही तय कर दी गई है। 

शिक्षा विभाग का सख्त निर्देश

इसके लिए मुख्यालय स्तर पर निगरानी सेल गठित किया गया है। यह सेल हर जिले में कार्यरत शिक्षकों और सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के वेतन, बकाया राशि और सेवांत लाभ आदि मामलों की निगरानी करेगा। इसके लिए शिक्षा विभाग ने सेल में नोडल पदाधिकारी को नियुक्त किया है। 

निगरानी सेल का गठन

विशेष सचिव एवं जन शिक्षा निदेशक अनिल कुमार को नोडल पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार विभागीय योजनाओं और परियोजनाओं के क्रियान्वयन और प्रगति की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है।

 

गठित निगरानी कोषांग के मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए शिक्षा विभाग के उप निदेशक प्रशासन जावेद अहसन अंसारी को नोडल पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है।

शिक्षा विभाग में संविदा एवं आउटसोर्सिंग से नियुक्त कर्मियों के अवकाश की स्वीकृति, वेतन व मानदेय भुगतान की स्वीकृति की भी इनकी जिम्मेदारी है। विशेष कार्य पदाधिकारी विनीता को एससी, डीसी व उपयोगिता प्रमाण पत्रों के सामंजन की जवाबदेहीदी गई है।

Red Max Media
Author: Red Max Media

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