

मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवाणी के सवाल का जवाब देते हुए 19 दिसंबर, 2024 को राज्यसभा में बताया था कि गुजरात उच्च न्यायालय में 1,70,963 मामले लंबित हैं, जबकि गुजरात के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 16,90,643 मामले लंबित हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने सोमवार को सात नवनियुक्त न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई, जिससे उनकी कुल संख्या 52 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 39 हो गई। गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सात न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की अधिसूचना 1 मई को केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी।
इन न्यायाधीशों ने ली शपथ: लियाकाथुसैन शमसुद्दीन पीरजाद, रामचंद्र ठाकुरदास वच्छानी, जयेश लखनशीभाई ओडेड्रा, प्रणव रावल, मूलचंद त्यागी, दीपक मनसुखलाल व्यास और उत्कर्ष ठाकोरभाई देसाई।
39 हुई जजों की संख्या
नवीनतम नियुक्तियों के साथ ही गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या, जिसकी स्वीकृत संख्या 52 है, बढ़कर 39 हो गई है। इस अवसर पर गुजरात के विधि एवं न्याय मंत्री रुशिकेश पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
गुजरात उच्च न्यायलय में 17 लाख से ज्यादा मामले लंबित
केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवाणी के सवाल का जवाब देते हुए 19 दिसंबर, 2024 को राज्यसभा में बताया था कि गुजरात उच्च न्यायालय में 1,70,963 मामले लंबित हैं, जबकि गुजरात के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 16,90,643 मामले लंबित हैं। मंत्री के बयान के अनुसार, गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के कुल 20 पद रिक्त थे, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 52 है। गुजरात के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों के 535 पद रिक्त थे, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 1720 है।
सुप्रीम कोर्ट में 82 हजार से ज्यादा मामले लंबित
सदन में मंत्री ने बताया था कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कुल 82,640 मामले लंबित हैं, देश के उच्च न्यायालयों में 61,80,878 मामले लंबित हैं तथा देश के जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 4,62,34,646 मामले लंबित हैं। उनके बयान के अनुसार देश के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल 1122 स्वीकृत पदों की तुलना में कुल 368 पद रिक्त थे, जबकि देश के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल 25741 स्वीकृत पदों की तुलना में कुल 5262 पद रिक्त थे। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 34 स्वीकृत पदों की तुलना में केवल एक पद रिक्त था।
