परिसीमन वाले बयान पर तेलंगाना में बवाल

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

परिसीमन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को लेकर तेलंगाना में सियासी बवाल देखने को मिला। उनके बायन की सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति ने तीखी आलोचना की है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस आश्वासन की गुरुवार को तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने तीखी आलोचना की, जिसमें कहा गया है कि दक्षिणी राज्यों को परिसीमन के कारण एक भी संसदीय सीट नहीं गंवानी पड़ेगी। दरअसल, अमित शाह ने बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पर आरोप लगाया था कि वे परिसीमन को लेकर गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिसीमन के कारण दक्षिणी राज्यों को कोई नुकसान नहीं होगा, जबकि स्टालिन ने यह दावा किया था कि तमिलनाडु को अपनी 39 लोकसभा सीटों में से 8 खोने पड़ेंगे।

तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले सभी राज्यों से परामर्श करने की अपील की। गौड़ ने कहा, “हमें परिसीमन प्रक्रिया पर कुछ संदेह हैं। इसे स्पष्ट करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। अगर एक भी सीट कम हो जाती है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।”

रेवंत रेड्डी ने पूछा- फिर क्यों दंडित किया जाए?

केंद्रीय गृह मंत्री के बयान के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नई जनगणना के आधार पर लोकसभा सीटों का परिसीमन दक्षिण भारतीय राज्यों के खिलाफ एक और कदम होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि दक्षिण भारतीय राज्यों को, जो परिवार नियोजन कार्यक्रम में अच्छे परिणामों के कारण जनसंख्या को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं, क्यों दंडित किया जाए? उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक बताया और कहा कि इस पर विरोध होना चाहिए।

KTR ने आबादी और जीडीपी का किया जिक्र 

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव ने भी इस मुद्दे पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने जनसंख्या के आधार पर परिसीमन को ‘निश्चित रूप से अन्यायपूर्ण’ बताया। रामाराव ने कहा, ‘‘1980 के दशक में जब परिवार नियोजन की पहल की गई थी, तब दक्षिणी राज्यों ने अच्छा प्रदर्शन किया था और इसके परिणामस्वरूप दक्षिण में जनसंख्या नियंत्रित हुई। अब यह कहना कि क्योंकि आपकी जनसंख्या कम हो गई है, इसलिए हम संसद में आपका प्रतिनिधित्व कम कर रहे हैं, न्याय का उपहास है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण भारत की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का केवल 19 प्रतिशत है, लेकिन अर्थव्यवस्था में इसका योगदान 36 प्रतिशत है। रामाराव ने उदाहरण के रूप में तेलंगाना का भी जिक्र किया, जहां राज्य की जनसंख्या मात्र 2.8 प्रतिशत है, लेकिन इसका योगदान देश के सकल घरेलू उत्पाद में 5.1 प्रतिशत है।

 

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Author: Red Max Media

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