

श्रीलंका ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे भारत के दुश्मन देशों पाकिस्तान और चीन में खलबली मच सकती है। पहलगाम पर पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव के बीच श्रीलंका भारत के साथ बड़े रक्षा समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी में है।
श्रीलंका ने पहलगाम पर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के दौरान अपने एक फैसले से पड़ोसी देशों की नींद उड़ाने जा रहा है। श्रीलंका के इस फैसले से पाकिस्तान और चीन चिंता में पड़ जाएंगे। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके भारत के साथ बड़े रक्षा समझौते को जल्द मंजूरी देने जा रहे हैं। दिसानायके ने कहा है कि भारत के साथ रक्षा समझौता जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। दिसानायके विपक्ष की इस आलोचना का जवाब दे रहे थे कि उनकी नेशनल पीपुल्स पॉवर (एनपीपी) सरकार ने भारत के साथ एक गुप्त रक्षा समझौता किया था, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 4 से 6 अप्रैल तक श्रीलंका की यात्रा पर थे और वह मांग कर रहा है कि समझौता ज्ञापन का खुलासा किया जाए।
बता दें कि दिसानायके ने शुक्रवार रात एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘वे झूठी कहानियां गढ़ रहे हैं। देशों के बीच समझौते हैं, वे दोनों पक्षों के लिए खुले हैं। अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। समझौते के एक खंड में यह कहा गया है।’’ दिसानायके ने श्रीलंका की इस रुख को सुनिश्चित किया था कि उसकी धरती का उपयोग किसी भी भारत विरोधी गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा, जिससे उसके पड़ोसी की राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़े। मोदी ने अपने संबोधन में इस रुख के लिए दिसानायके को धन्यवाद दिया था। विपक्ष ने नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) पर भारत के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए निशाना साधा है, क्योंकि इसकी मूल पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने 1987-90 में श्रीलंका के तमिल अल्पसंख्यक मुद्दे में भारत के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के विरोध में खूनी विद्रोह का नेतृत्व किया था।
पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान पड़ी थी समझौते की नींव
प्रधानमंत्री मोदी की पांच अप्रैल को श्रीलंका यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग पर हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगा। यह पहली बार है कि भारत और श्रीलंका ने सैन्य क्षेत्र में गहन सहभागिता के लिए एक ढांचे को संस्थागत बनाने हेतु एक प्रमुख रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। श्रीलंका के रक्षा सचिव थुइयाकोंथा ने इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद कहा था, ‘‘भारत हर साल करीब 750 श्रीलंकाई सैन्यकर्मियों को प्रशिक्षण देता है। यह रक्षा साझेदारी एक अमूल्य परिसंपत्ति बनी हुई है।’’ थुइयाकोंथा ने कहा, ‘‘इस समझौता ज्ञापन के तहत सहयोग के हिस्से के रूप में, दोनों पक्ष एक-दूसरे के सैन्य और राष्ट्रीय कानूनों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
