

बिहार में भूमि सर्वेक्षण का काम जारी है। जमीन सर्वे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास आईएएस अधिकारी केके पाठक की एंट्री हो चुकी है। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि सरकारी और निजी जमीन की जांच होगी। बेतिया राज की जमीनें सरकार के अधीन हैं और अधिकतर पर अतिक्रमण है। राजस्व पर्षद इन जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने में जुटी है। इसके लिए प्रतिनियुक्त पांच अधिकारियों से सहायता ली जा रही है जो विभिन्न जिलों से आए हैं।
हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा
बता दें कि बिहार में सरकारी जमीन के सर्वेक्षण के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पहल की है। बेतिया राज की हजारों एकड़ जमीन पर से अवैध कब्जे हटाने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू हो गए हैं। राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक ने इस काम के लिए पांच अधिकारियों की नियुक्ति की है। वहीं, बेतिया राज की जमीन पर लंबे समय से अतिक्रमण की शिकायतें मिलती रही हैं।
और हो गई केके पाठक की एंट्री
यही कारण है कि राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक ने इस समस्या से निपटने के लिए सर्वेक्षण और अतिक्रमण मुक्ति की योजना बनाई है। इस काम में तेजी लाने के लिए उन्होंने पांच अनुभवी अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की मांग की थी। राजस्व पर्षद के अध्यक्ष ने 28 अगस्त को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखा था।
केके पाठक के पत्र में क्या
पत्र में लिखा गया था कि बेतिया राज की समस्त भूमि बिहार और उत्तर प्रदेश में है। जमीन का समुचित प्रबंधन, सर्वेक्षण, अतिक्रमण मुक्ति का कार्य, बेतिया राज से संबंधित विभिन्न न्यायालयों में दायर केस में सरकार का पक्ष रखना का कार्य करने के लिए राजस्व सेवा के पांच अधिकारियों की जरूरत है। ऐसे में राजस्व सेवा के 5 अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करें।
केके पाठक को मिले पांच अधिकारी
विभाग ने केके पाठक की मांग को स्वीकार करते हुए पांच अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया है। ये अधिकारी हैं सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी संजीव कुमार राय, बद्री प्रसाद गुप्ता, सुबोध कुमार, निशिकांत, अमित कुमार। ये सभी अधिकारी पहले से ही अलग-अलग जिलों में तैनात थे। इन अधिकारियों को बेतिया राज की जमीन के सर्वेक्षण, अतिक्रमण मुक्ति और न्यायालय से जुड़े मामलों को देखने की जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर इन्हें बिहार के बाहर भी तैनात किया जा सकता है।
