

अगले साल होने वाले मेयर चुनाव की मतदान प्रक्रिया को बदलने का ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है। जल्द यह ड्राफ्ट मंजूरी के लिए प्रशासक गुलाबचंद कटारिया को भेजा जाएगा। डीसी आफिस की ओर से यह ड्राफ्ट प्रशासक के निर्देश पर ही तैयार किया गया है। ड्राफ्ट मंजूर होने के बाद पार्षद चुनाव में अपना वोट उम्मीदवार को हाथ खड़ा करके देंगे। अब तक सीक्रेट बैलेट से वोटिंग होती थी।
। अगले साल होने वाले मेयर चुनाव की मतदान प्रक्रिया को बदलने का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। जल्द यह ड्राफ्ट मंजूरी के लिए प्रशासक गुलाबचंद कटारिया को भेजा जाएगा। डीसी आफिस की ओर से यह ड्राफ्ट प्रशासक के निर्देश पर ही तैयार किया गया है।
ड्राफ्ट पर मंजूरी मिलने के बाद पार्षद चुनाव में अपना वोट उम्मीदवार को हाथ खड़ा करके देंगे। इससे मेयर चुनाव में क्रास वोटिंग और वोट खराब करने पर जो हर साल बवाल होता है। उस पर अगली बार लगाम लग जाएगी। जबकि इस समय नगर निगम के पार्षद सीक्रेट बैलट पेपर पर मतदान करते हैं। असल में प्रशासक चुनाव को पूरी तरह से पारदर्शिता के पक्ष में हैं।
साल 1997 से लगातार मेयर चुनाव पार्षदों द्वारा गुप्त मतदान से ही होता रहा है। जिसका फायदा क्रॉस वोटिंग करने वालों का मिलता रहा है। इस साल भी तीन वोट क्रॉस होने के कारण ही भाजपा की हरप्रीत कौर बबला चुनाव जीती है। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में एक वोट क्रॉस हुआ है। जिसकी जांच के लिए कांग्रेस ने कमेटी का भी गठन किया है लेकिन अभी तक क्रास वोटिंग करने वालों के नाम सामने नहीं आए हैं। आम आदमी पार्टी भी क्रॉस वोटिंग करने वाले पार्षद को तलाश नहीं कर पाई है।
हाथ खड़ा करके लिया जाता है बहुमत
इस समय सदन में जब कोई प्रस्ताव पास होता है तो बहुमत भी पार्षदों का हाथ खड़ा करके ही पता किया जाता है। हाथ खड़ाकर करके मतदान करवाने का फायदा उस राजनीतिक दल को मिलेगा जिसके पार्षदों की संख्या सबसे ज्यादा होगी और अगर किसी दल का पार्षद विपक्षी दल के उम्मीदवार को वोट करना चाहता है तो उसे सबसे सामने खुलकर समर्थन करना होगा।
ऐसी स्थिति में पार्षदों की अपने राजनीतिक दलों के प्रति भी जवाबदेही बढ़ेगी और जो क्रॉस वोटिंग के बदले अलग-अलग तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं, उस पर भी लगाम लगेगी। हाथ खड़े करके सबके सामने समर्थन करने पर जोड़-तोड़ की राजनीति भी खत्म हो जाएगी। क्रास वोटिंग का खामियाजा पिछले सालों में बहुमत होने के बावजूद सभी राजनीतिक दल भुगत चुके हैं।
सदन में हो चुका है प्रस्ताव पास
जबकि सदन हाथ खड़ाकर करके वोट डालने पर प्रस्ताव पास कर चुका है। ऐसे में अब प्रशासन को फिर से नगर निगम से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। प्रशासन के अनुसार एक्ट में बदलाव करना है ऐसे में शहर वासियों के सुझाव लेने की भी इस पर कोई जरूरत नहीं है।
मेयर का कार्यकाल भी बढ़ाने के पक्ष में प्रशासन
प्रशासन मेयर का कार्यकाल भी ढाई साल करना चाहता है। इस मुद्दे पर भी प्रशासक के स्तर पर चर्चा हो चुकी है लेकिन अधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे के लिए लोकसभा की मंजूरी चाहिए जिसके लिए लंबा समय चाहिए इस समय चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल 1 साल का होता है मेयर के साथ-साथ सीनियरिटी में और डिप्टी मेयर का भी चुनाव होता है उनका भी कार्यकाल 1 साल का होता है।
प्रशासक तो इस साल ही हाथ खड़ेकर करके मतदान करने के पक्ष में थे लेकिन अधिकारियों ने कहा कि इतनी जल्दी एक्ट में बदलाव करके इस फैसले को आलीजामा नहीं पहनाया जा सकता है।
इसलिए अब इस मुद्दें पर अगली बार काम करने के लिए अधिकारियों को कहा गया। डीसी ऑफिस के अनुसार स्थानीय निकाय सचिव के माध्यम से ड्राफ्ट प्रशासक को गवर्नर हाउस भेजा जाएगा। उम्मीद है कि जून महीने तक अध्ययन और चर्चा के बाद मंजूरी मिल जाए।
