

पाकिस्तान की इस हरकत के चलते मजबूर होकर भारत को उसके 8 अहम एयरबेस को ध्वस्त करना पड़ा। भारत के इस रिएक्शन ने पाकिस्तान को चौंका दिया। इस कड़ी कार्रवाई के चलते उसे अपना सुर बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत ने जिस सटीकता के साथ पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok) में आतंकी ढांचे पर टारगेटेड हमले किए और पाकिस्तान एयरफोर्स के आठ अहम एयरबेस को ध्वस्त कर दिया, उससे दुनिया हैरान रह गई। फिर भारत सीजफायर पर सहमत क्यों हुआ? सीजफायर के लिए किसने कहा?
10 मई को जब भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तानी वायुसेना के प्रमुख ठिकानों पर बमबारी करना शुरू किया तो पाकिस्तान सदमे में आ गया। भारत की मारक क्षमता देख पाकिस्तान की आंखें फटी रह गईं। पाकिस्तान को इस बात का डर हो गया कि कहीं ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें उसके परमाणु नियंत्रण और कमांड सेंटर को निशाना न बना लें। उसने अमेरिका को फोन किया और इस डर को अमेरिका के सामने जाहिर किया।
सीजफायर
भारत और पाकिस्तान के बीच जब संघर्ष अपने चरम पर था उसी वक्त अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया। पीएम मोदी का साफ कहना था कि अगर पाकिस्तान इसे और आगे बढाता है तो हमारा रिएक्शन बहुत कड़ा होगा। लेकिन पाकिस्तान इस संकेत को नहीं समझ पाया और उसकी एयरफोर्स ने उधमपुर पर हमला करने की कोशिश की। पाकिस्तान की इस हरकत के चलते मजबूर होकर भारत को उसके 8 अहम एयरबेस को ध्वस्त करना पड़ा। भारत के इस रिएक्शन ने पाकिस्तान को चौंका दिया। इस कड़ी कार्रवाई के चलते उसे अपना सुर बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अगली सुबह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को फोन किया और कहा, “पाकिस्तान मैसेज को समझ गया है,” जिसके बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के साथ हॉटलाइन पर बात की और सीजफायर का अनुरोध किया।
नया रुख
सीमा पार से होनेवाले आतंकवाद को लेकर अब भारत ने नया रुख अपनाया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में सहयोग की अपेक्षा रखते हुए आतंकवाद को जारी नहीं रख सकता है। एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में भारत परमाणु खतरों को गंभीरता से लेता है, लेकिन इस बार मोदी सरकार ने पाकिस्तान द्वारा न्यूक्लियर हथियारों की धमकी रूपी झांसे को सामने लाने का विकल्प चुना। भारत ने यह साफ कर दिया कि पाकिस्तान न्यूक्लियर हथियारों की धमकी की आड़ में भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना जारी नहीं रख सकता।
भारत के बदले हुए नए रुख से साफ है कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत की निर्णायक कार्रवाई उसके लिए बहुत महंगी साबित होगी। जिस न्यूक्लियर पावर की पाकिस्तान धमकी देता फिरता है, वह न्यूक्लियर हथियार भी धरे के धरे रह जाएंगे।
सांप के सिर पर वार
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने आतंकवाद के आकाओं और उसके स्रोत को निशाना बनाया। यह आतंकवाद से निपटने की उसकी रणनीति और इरादे में बदलाव का एक संकेत है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब केवल सैन्य कार्रवाई तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि इसे तीनों सेना के बीच को-ऑर्डिनेशन के साथ राजनीतिक और मनोवाज्ञानिक तरीके से अंजाम दिया गया। ऑपरेशन सिंदूर से सभी उद्देश्य पूरे हो गए साथ ही एक मजबूत मनोवैज्ञानिक संदेश भी दिया गया है कि अब पुराने नियम लागू नहीं होते। संदेश साफ है- अब यह पहले की तरह वाला मामला नहीं है।
जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि आतंक के आकाओं को मिट्टी में मिलाने का वक्त आ गया है। बहावलपुर में आतंकी कमांड सेंटर जैश का मरकज मिटियामेट हो चुका है। बचे खुचे आतंक के केंद्र भी भारतीय आर्म्ड फोर्सेज के निशाने पर हैं। भारत का यह नया रुख इस बात दर्शाता है कि अब पाकिस्तान में कोई भी जगह आतंकियों के लिए सुरक्षित नहीं है। संदेश साफ है कि आतंकवादी पाकिस्तान में कहीं भी छिपे हों, भारत उन्हें मार गिराएगा। पाकिस्तान में कोई भी ऐसी जगह नहीं रह गई है जहां नहीं पहुंचा जा सकता है।
पीओके की वापसी के अलावा कोई बातचीत नहीं
भारत पहले ही यह साफ कर चुका है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। पाकिस्तान के साथ बातचीत में जम्मू-कश्मीर पर कोई चर्चा नहीं होगी। DGMO लेवल की बातचीत में अगर चर्चा होगी तो केवल एकमात्र मुद्दा है, वह है पीओके की वापसी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा साफ है कि भविष्य में पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत तभी होगी जब वह अपनी धरती से चलनेवाले आतंकी आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध होगा। उसकी इस प्रतिबद्धता पर ही भविष्य में दोनों देशों के बीच कोई बातचीत होगी। उन्होंने कथित तौर पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस को बताया कि बातचीत तभी आगे बढ़ेगी जब पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देना बंद करेगा।
इसके अलावा, भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने के फैसले से पीछे हटने की कोई मंशा नहीं जताई है। यह इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच जारी तनाव और दुश्मनी के बीच साझा संसाधनों में सहयोग जारी नहीं रह सकता।
गोली के बदले गोला चलेगा
प्रधानमंत्री मोदी ने आर्म्ड फोर्सेज को और ज्यादा आक्रामक रुख अपनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत को पाकिस्तान की हर हरकत का अधिक जोरदार तरीके से जवाब देना चाहिए।
पीएम मोदी का निर्देश है, “वहां से गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा”। इस वक्तव्य में भारत के नए रुख का पता चलता है। इस नए रुख का उद्देश्य देश में होनेवाले हमलों को रोकना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार के हमले का मजबूती से जवाब दिया जाए।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जो कार्रवाई की वह बेहद सटीक, नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली और जिम्मेदाराना थी। सेना ने अपनी कार्रवाई को निर्णायक बताया। इस तरह से की गई संतुलित कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश देने के साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के प्रयास को दर्शाती है।
ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट और कड़ा मैसेज दिया है कि अगर वह अपने यहां आतंकियों को पालता रहेगा, उन्हें पनाह देता रहेगा तो फिर नई दिल्ली से किसी तरह की उममीद नहीं रखे। भविष्य में ऐसी हरकतों का जवाब और भी अधिक ताकत से दिया जाएगा।
आतंकवाद विरोधी रणनीति में बड़ा बदलाव
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में 28 लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद भारतीय सेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जो सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ़ भारत की एक बड़ी प्रतिक्रिया थी। यह ऑपरेशन भारत की रक्षा रणनीति में एक नए बदलाव के साथ ही पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकी खतरों के खिलाफ़ सक्रिय और सबक सिखाने वाले उपायों पर जोर देता है।
पहलगाम में खास तौर से हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया हमला, पाकिस्तान में मौजूद आतंकी समूहों द्वारा किए गए हमलों की एक कड़ी है। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में नौ आतंकी लॉन्चपैड को निशाना बनाते हुए कई सटीक हमले किए। इन हमलों का नतीजा ये रहा कि करीब 100 से अधिक आतंकवादियों का सफाया हुआ और आतंकी ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचा। इस ऑपरेशन का नाम “सिंदूर”, पीड़ितों की विधवाओं द्वारा झेले गए नुकसान का प्रतीक है साथ ही यह आतंकियों से निपटने से भारत के संकल्प को भी व्यक्त करता है।
