

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके सहयोगी महासंघों ने नौ जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया है। लेकिन इस बीच भारतीय मजदूर संघ ने ऐलान किया है कि वो राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में भाग नहीं लेगा।
विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने नौ जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया है। इस बीच भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने मंगलवार को बड़ा ऐलान किया और कहा कि वह 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके सहयोगी महासंघों के मंच के नौ जुलाई को आहूत राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में भाग नहीं लेगा। संघ ने कहा है कि कुछ श्रमिक संगठनों ने श्रम संहिताओं को लागू करने की सरकार की योजना के विरोध में बुधवार को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है लेकिन वह इस आंदोलन में भाग नहीं ले रहा है।
भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि सरकार ने श्रम संहिताओं में बदलाव करने के उसके सुझाव पर ध्यान दिया है और श्रमिकों के हित में ऐसे और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए भी तैयार है। संघ ने यह भी कहा कि यह विरोध राजनीति से प्रेरित है।
श्रमिक संघों की ये है मांग
यूनियन ने अपनी 17 सूत्री मांगपत्र पर दबाव बनाने के लिए बुधवार को आम हड़ताल का आह्वान किया है। उनकी मांगों में निश्चित अवधि की नौकरी वापस लेना और अग्निपथ योजना को खत्म करना, आठ घंटे का कार्यदिवस, गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना की बहाली और ईपीएफओ ग्राहकों के लिए न्यूनतम मासिक पेंशन 9,000 रुपये करना आदि शामिल हैं। इसके साथ ही आंगनवाड़ी, आशा और मध्याह्न भोजन, आशा किरण आदि योजनाओं से संबद्ध कर्मियों को श्रमिक का दर्जा देने तथा उन्हें ईएसआईसी कवरेज देने के लिए भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश को लागू करने की भी मांग की है।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे, सड़क परिवहन, कोयला खदानों और अन्य गैर-कोयला खदानों, बंदरगाह और गोदी, रक्षा, बिजली, डाक, दूरसंचार, बैंक और बीमा क्षेत्र आदि के निजीकरण को तत्काल रोकने की मांग की है। उन्होंने आयुध कारखानों के निगमीकरण को वापस लेने और हर पांच साल में मूल्य सूचकांक के साथ 26000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन की भी मांग की। बता दें कि यूनियन ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा था।
