
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) केवल बाघ ही नहीं बल्कि तेंदुआ और भालू समेत अन्य जंगली जानवरों का भी घर है। यहां पर्यटक जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए आते हैं। सैलानियों को यहां जंगल का प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ गंडक नदी और वन्य क्षेत्र की खूबसूरती खासा आकर्षित करती है।
दूर-दूर तक घने जंगल और उसमें विचरण करते बाघ, तेंदुआ, बंदर, लंगूर, हिरण, सांभर, भालू, हाथी, मोर व गौर के अलावा अन्य जीव-जंतुओं को देखना है तो आइए पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर)।
बिहार के इस इकलौते टाइगर रिजर्व में प्रकृति ने अपनी सुंदरता बिखेर रखी है। यहां जंगली जानवरों के अलावा सिर्फ हरे-भरे जंगल का ही प्राकृतिक सौंदर्य नहीं है, नेपाल से निकली नदियां भी लुभाती हैं। यहां से हिमालय पर्वत शृंखला का दीदार भी कर सकते हैं।
सकी सीमा पर ढाई सौ गांव एवं मध्य में 26 गांव बसे हैं। गंडक नदी के शांत पानी में पहाड़ का प्रतिबिंब मन को मोह लेता है। 15 अक्टूबर से 15 जून तक यहां पर्यटन सत्र चलता है।
जहां बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के साथ नेपाल और अन्य देशों के पर्यटक समय-समय आते हैं। हर साल करीब एक लाख देशी-विदेशी पर्यटक सैर को आते हैं।
यहां जंगल सफारी करते हुए बाघों का दीदार कर सकेंगे। रास्ते में घास और झुरमुटों के बीच से झांकते वन्य जीवों को देखने का रोमांच आपके सफर को यादगार बना देंगे।
गंडक नदी वन्य क्षेत्र की हरियाली और खूबसूरती में इजाफा करती है। बाघ को चंद कदमों की दूरी पर देखने का एहसास बेहद खास होता है।
विलुप्त प्रजातियों के होंगे दीदार
वीटीआर में 11 विलुप्त प्रजातियों के जीव जैसे क्लाउडेड लेपर्ड, सफेद कान वाला रात का बगुला, चार सिंगों वाला मृग, बकरी-मृग, बर्मीज अजगर, भारतीय भेड़िए, नेवला, चित्तीदार बिल्ली, होरी-बेलिड गिलहरी, येलो थ्रोटेड मार्टेन, हिमालयन सीरो आदि को देखने का अवसर मिलेगा। गंडक नदी में घड़ियाल भी देख सकेंगे।
ईको पार्क व बोटिंग की सुविधा
चारों तरफ फैली हरियाली की चादर के बीच रंग-बिरंगे फूलों से सजा ईको पार्क देख लगता है जन्नत की सैर पर हों। पक्षियों का कलरव जंगल का शांत वातावरण इन सब के बीच नदी में बोटिंग का आनंद मन को सुकून देंगे।
पर्यटक इस पूरे वन्य क्षेत्र का अच्छी तरह से दीदार कर सकें और उन्हें वन्य प्राणियों के बारे में जानकारी मिले, इसके लिए वीटीआर में नेचर गाइड प्रत्येक पंजीकृत जिप्सी के साथ ले जाने की सुविधा है। टावर के जरिए वन क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों का दीदार कर सकेंगे।
जंगल के बीच मंदिरों के दर्शन
वाल्मीकिनगर घूमने वाले पर्यटक गंडक बराज पर जाना नहीं भूलते। गंडक नदी के ऊपर 36 पिलर पर बना पुल पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक इसी बराज से होकर पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेपाल के त्रिवेणी धाम भी जाते हैं। महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकिनगर नेपाल में पड़ता है। वीटीआर के सघन वन क्षेत्र में स्थित नरदेवी व मदनपुर देवी माता का मंदिर आस्था का केंद्र है। यहां उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।
बंबू व ट्री हट में ठहरने का रोमांच
अगर आप यहां ठहरना चाहते हैं तो वन क्षेत्र में गेस्ट हाउस व ईको हट की व्यवस्था है। होटल, जंगल कैंप परिसर में बने बंबू हट, फोर फ्लैट के अलावा वाल्मीकिनगर, गनौली, नौरंगिया, गोवर्धना, मदनपुर, दोन व मंगुराहा आदि जगहों पर वन विभाग के रेस्ट हाउस बने हैं। यहां ट्री और बंबू हट भी हैं। वीटीआर के सभी होटलों की आनलाइन बुकिंग होती है। इसके अलावा वाल्मीकिनगर में आधा दर्जन रिसार्ट व एक दर्जन से अधिक अत्याधुनिक प्राइवेट होटल हैं, जो एक से दो हजार तक में उपलब्ध हो जाएंगे। 120 करोड़ की लागत से बने कन्वेंशन सेंटर में भी रहने की बेहतर सुविधा मिलेगी। यहां 102 वीआइपी रूम बनाए गए हैं।
कैसे पहुंचें ?
पश्चिमी चंपारण जिले का सबसे निकटतम एक मुख्य रेलवे स्टेशन #बगहा BUG से उतरकर बस द्वारा वाल्मीकिनगर (भैंसालोटन) जा सकते हैं। बगहा रेलवे स्टेशन नरकटियागंज के रेलखंड के पास वाया हरिनगर 5वां स्टेशन है। पटना, मुजफ्फरपुर से वाया बेतिया जिला मुख्यालय से सड़क मार्ग से भी बगहा,वाल्मीकिनगर (भैंसालोटन) आया जा सकता है।
