

ह्यूस्टन विश्वविद्यालय ने लिव्ड हिंदू रिलीजन पाठ्यक्रम पर छात्र की शिकायत के बाद अकादमिक स्वतंत्रता का समर्थन किया। विश्वविद्यालय ने कहा कि यह पाठ्यक्रम धार्मिक अध्ययन के अंतर्गत है। प्रोफेसर उल्लेरी ने यह स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म कोई एक निश्चित रूप नहीं है बल्कि यह विभिन्न रूपों में प्रकट होता है और इसका ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ महत्वपूर्ण है।
छात्र की शिकायत के बाद, विश्वविद्यालय के डीन और धार्मिक अध्ययन विभाग के निदेशक ने शिकायत की जांच की और उसे शिक्षक से चर्चा के लिए भेजा। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि यह पाठ्यक्रम धार्मिक अध्ययन के क्षेत्र में आधारित है, जो विभिन्न धर्मों के आंदोलनों को समझने के लिए विशिष्ट शब्दावली का उपयोग करता है, जैसे ‘फंडामेंटलिज़्म’।
पाठ्यक्रम के उद्देश्य पर प्रोफेसर उल्लेरी का बयान
पाठ्यक्रम के शिक्षक, प्रोफेसर एरोन माइकल उल्लेरी ने इस विवाद पर कहा कि उनका उद्देश्य हिंदू धर्म के विभिन्न रूपों को समझाना है न कि उसे किसी एक रूप में सीमित करना। उन्होंने कहा कि उनके पाठ्यक्रम में हिंदू धर्म के प्राचीन रूपों से लेकर आधुनिक समय तक के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाती है।
हिंदू धर्म और हिंदुत्व के बारे में स्पष्टीकरण
प्रोफेसर उल्लेरी ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म विभिन्न रूपों में प्रकट होता है। उन्होंने बताया कि हिंदू शब्द भारतीय संस्कृत साहित्य में प्राचीन काल में नहीं पाया जाता था। हिंदू धर्म के कई रूप हैं और उन्हें एक ही शब्द में समेटना संभव नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘हिंदुत्व’ शब्द का इतिहास 1922 में शुरू हुआ था और यह भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। प्रोफेसर उल्लेरी ने कहा कि यह पाठ्यक्रम “लिव्ड हिंदू रिलीजन” नाम से है, जिसका मतलब यह है कि पाठ्यक्रम में यह दिखाया जाएगा कि हिंदू धर्म को कैसे वास्तविक जीवन में अपनाया जाता है और इसका विकास कैसे हुआ है।
पाठ्यक्रम का उद्देश्य
उल्लेरी ने अंत में यह कहा कि मीडिया के माध्यम से मिले कुछ बयान संदर्भ से बाहर थे और उन्होंने कभी भी हिंदू धर्म को एक आस्थायी धर्म के रूप में नहीं प्रस्तुत किया है। उनका पाठ्यक्रम किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि धर्म समय के साथ किस तरह बदलता है और विकसित होता है।
