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उत्तराखंड भी मॉक ड्रिल के लिए तैयार

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सुरक्षाकर्मी
उत्तराखंड के देहरादून में मॉक ड्रिल की तैयारियां की जा रही है। देश भर में एक साथ 7 मई को इस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। सबसे पहले सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया जाएगा और इसके बाद करीब 10 मिनट का ब्लैक आउट होगा।

परमाणु शक्ति से लैस दक्षिण एशिया के दो बड़े देश बिल्कुल आमने-सामने खड़े हैं। दोनों के बीच कभी-भी युद्ध छिड़ सकता है। भारत पहलगाम हमले का बदला लेने का ऐलान कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि हमला करनेवाले आतंकियों और उनके आकाओं को छोड़ा नहीं जाएगा। उन्हें ऐसी सजा मिलेगी जिसकी कभी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। इसके साथ ही पीएम मोदी ने तीनों सेनाओं को खुली छूट दे दी है। उधर, नियंत्रण रेखा पर भी पाकिस्तान लगातार गोलाबारी कर आग में घी डालने का काम कर रहा है। एलओसी पर भारतीय सेना पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। इस बीच देश के कई जिलों में कल मॉक ड्रिल किया जाएगा। इनमें उत्तराखंड भी शामिल हैं।

उत्तराखंड के देहरादून में मॉक ड्रिल की तैयारियां की जा रही है। देश भर में एक साथ 7 मई को इस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। सबसे पहले सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया जाएगा और इसके बाद करीब 10 मिनट का ब्लैक आउट होगा। ब्लैक आउट के दौरान बत्ती गुल हो जाती है और चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता है। उस समय किसी भी तरह की रोशनी नहीं करनी चाहिए। दुश्मन देश के हवाई हमलों से बचने के लिए ब्लैक आउट किया जाता है।

क्या होता है ब्लैक आउट?

युद्ध के दौरान अक्सर ब्लैकआउट किया जाता है। इसका उद्देश्य दुश्मन के हवाई हमलों से बचने के लिए किया जाता है। पूरे शहर या कस्बे की बत्ती गुल कर दी जाती है। ऐसे इसलिए किया जाता है ताकि विमानों को अपना टारगेट ढूंढने में कठिनाई हो।

भारत में कब-कब हुआ  ब्लैकआउट

1965 का भारत-पाक युद्ध:  इस युद्ध के दौरान खासतौर से प्रमुख शहरों और पाक सीमा से लगे जैसे दिल्ली, अमृतसर, और कोलकाता में ब्लैकआउट लागू किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने लोगों को घरों की बत्तियां बंद करने और खिड़कियों पर काले पर्दे या पेंट लगाने की सलाह दी थी, ताकि पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को आबादी का पता न चले।

1971 का भारत-पाक युद्ध: इस युद्ध में भी ब्लैकआउट व्यापक रूप से लागू किया गया, खासकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, और अमृतसर जैसे बड़े शहरों में। शाम होते ही बिजली गुल कर दी जाती थी, और सायरन बजने पर लोग बंकरों में छिपते थे। घरों की खिड़कियों पर काले पर्दे या पेंट अनिवार्य थे। यह सुनिश्चित किया जाता था कि कोई रोशनी बाहर न जाए।

Red Max Media
Author: Red Max Media

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