

अमेरिका के मशहूर पॉडकास्ट होस्ट लेक्स फ्रिडमैन के साथ तीन घंटे के लंबे पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जीवन के कई पहलुओं पर बात करने के साथ ही अपनी कूटनीतिक सोच को भी बेहिचक विश्व के सामने रखा। खास तौर पर भारत-चीन के रिश्तों पर पीएम मोदी के शब्द शांति-सुलह के संदेश की बड़ी लकीर खींचते दिखाई दिए।
दोनों देशों के गहरे सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार की तरह ही मतभेद भी होते हैं। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि ये मतभेद विवाद में न बदल जाएं। साथ ही कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध न केवल लाभदायक हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
भारत और चीन के रिश्तों पर क्या बोले पीएम मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीति से जुड़े सवालों पर खुलकर बात करते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच संबंधों को संभालने में संवाद ही प्राथमिक नजरिया है। वहीं, जब सवाल पाकिस्तान का आया तो प्रधानमंत्री मोदी ने कड़वे अनुभव साझा करते हुए सख्त रुख दिखाया। कहा कि दुनिया को अब इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि आतंक की जड़ें कहां हैं। पाकिस्तान आतंक का केंद्र बन गया है, जिससे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को भारी पीड़ा हो रही है।
निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए भारत के कई प्रयासों पर प्रकाश डाला। लाहौर की अपनी यात्रा से लेकर अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित करने तक का जिक्र करते हुए बोले कि सुलह के हर प्रयास का नकारात्मक परिणाम मिला।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के लोग हिंसा और भय से मुक्त भविष्य के हकदार हैं। पाकिस्तान अपनी गलतियों से सीखे और सही रास्ता चुने। पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपनी दोस्ती पर भी बात की। उन्होंने कहा कि ट्रंप का अमेरिका फर्स्ट दृष्टिकोण उनके अपने नेशन फर्स्ट और इंडिया फर्स्ट के फिलॉस्फी से मेल खाता है, जिससे दोनों नेताओं के बीच स्वाभाविक तालमेल को बढ़ावा मिलता है। साथ ही कहा कि कई मंचों पर उनकी सराहना करना ट्रंप की उदारता है। ट्रंप के लिए अमेरिका पहले है और मोदी के लिए हमेशा भारत पहले है।
आरएसएस, वामपंथी संगठनों को लेकर पीएम ने बताया अंतर
पीएम मोदी ने कहा कि ट्रंप अपने मौजूदा कार्यकाल में अत्यधिक केंद्रित दिखाई देते हैं और उन्होंने एक मजबूत टीम बनाई है, जिसके साथ उन्हें मिलने का अवसर भी मिला। कूटनीति पर बात करने के साथ ही पीएम मोदी ने भारत की आंतरिक राजनीति और यहां के हालात पर भी पॉडकास्ट में बात की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से रिश्तों की चर्चा के दौरान उन्होंने इसे अपना सौभाग्य बताया कि इस स्थायी विरासत का हिस्सा बने। कहा कि उन्हें अपने जीवन का मकसद और निस्वार्थ सेवा के मूल्य आरएसएस से मिले। वैश्विक स्तर पर इतने बड़े पैमाने पर आरएसएस की भूमिका की सराहना भी की। वामपंथी श्रमिक संघों और आरएसएस से जुड़े श्रमिक संघों के बीच अंतर को भी अपने शब्दों में समझाया।
इसके अलावा इस बात को स्वीकार किया कि भले ही वे गलती कर सकते हैं, लेकिन वे कभी भी गलत इरादे से काम नहीं करेंगे। उनका हर कार्य राष्ट्र की सेवा करने की सच्ची इच्छा से प्रेरित होता है। वहीं, किसी का नाम लिए ही बिना खरे शब्दों में इंगित किया कि सार्थक बहस की जगह बिना शोध या तथ्यों के लगाए गए निराधार आरोपों ने ले ली है। कुछ व्यक्ति विशिष्ट एजेंडे और गलत इरादे से काम करते हैं। लोगों को गुमराह करने के लिए गलत सूचना का इस्तेमाल करते हैं।
तीन घंटे लंबे इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ संबंध, वैश्विव मंच पर भारत की मजबूत आवाज, रूस और यूक्रेन से हुए संवाद और शांति की अपील के साथ साथ गोधरा दंगा जैसे कई विषयों पर भी बात की।
