

हाईवे पर सैटेलाइट आधारित टोल प्रणाली के लिए अभी इंतजार करना होगा। इससे संबंधित नीति बनाने के लिए बनी समिति ने सुरक्षा और निजता की चिंताओं के कारण और अधिक विचार-विमर्श की जरूरत जताई है।
उद्योग और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों वाली समिति ने लोगों की सुरक्षा और निजता के उल्लंघन तथा समग्र रूप से इस प्रणाली के संचालन को लेकर कुछ चिंताओं पर गौर किया है। उनकी सिफारिश है कि इस पर और अधिक विचार-विमर्श किया जाए और इसके बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाए।
क्यों हो रही देरी?
नितिन गडकरी ने कहा कि अभी सैटेलाइट आधारित जो नेविगेशन है, उसके साथ ही कुछ अतिरिक्त सैटेलाइट संपर्क की जरूरत होगी। इसके साथ ही उचित रिसीवर का विकास भी एक बड़ा मसला है। इसके बिना अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे।
गडकरी ने कहा कि अर्बन एक्सटेंशन रोड (यूईआर-2) और द्वारका एक्सप्रेस में चार फी प्लाजा में बैरियर मुक्त टोल संग्रह के लिए टेंडर जारी किया गया है। इसके अनुभव के आधार पर अन्य फी प्लाजा में इसे चरणबद्द तरीके से लागू किया जा सकता है।
NHAI ने दुनिया से मांगा प्रस्ताव
एनएचएआई पहले ही इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के लिए पूरी दुनिया से प्रस्ताव मांग चुका है। एक बार यह प्रणाली लागू हो गई तो हाईवे पर टोल प्लाजा खत्म हो जाएंगे। यह प्रणाली लोगों को काफी राहत देगी, क्योंकि लोगों को उतना ही टोल देना होगा जितना वे किसी हाईवे अथवा एक्सप्रेस वे का इस्तेमाल करेंगे।
नई प्रणाली से आर्थिक रूप से लाभकारी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि नई प्रणाली लोगों को आर्थिक रूप से काफी लाभ देगी। मंत्रालय नई टोल प्रणाली में मासिक, वार्षिक और 15 वर्षों के लिए पास भी जारी करने की योजना बना रहा है। अभी इसकी दरें तय नहीं की गई हैं। गडकरी ने कहा कि टोल लिया जाना जरूरी है, क्योंकि सड़क निर्माण में काफी पैसा लगता है। जब आप अच्छी सड़कें चाहते हैं तो आपको इसकी कुछ कीमत भी देनी होती है।
नाबालिगों के कारण हुईं 11,890 दुर्घटनाएं
एक अन्य सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि 2023 से 2024 के दौरान नाबालिगों की ड्राइविंग के कारण 11890 हादसे हुए। इनमें तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 2063 घटनाएं हुईं। इसके बाद मध्य प्रदेश (1138) और महाराष्ट्र (1067) का नंबर आता है।
