

प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन, उच्च शिक्षा निदेशक और शिक्षा सचिव के खिलाफ नारे लगाए तथा उन पर कर्मचारियों की वित्तीय कठिनाइयों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने वेतन भुगतान में देरी का कड़ा विरोध करते हुए कुलपति कार्यालय के बाहर सोमवार को प्रदर्शन किया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (एचपीयूटीडब्ल्यूए) और गैर-शिक्षण कर्मचारी संघ के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में शिक्षकों ने कक्षाओं का बहिष्कार भी किया।
प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों और उच्च शिक्षा निदेशक तथा शिक्षा सचिव के खिलाफ नारेबाजी की और उन पर कर्मचारियों की आर्थिक कठिनाइयों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। एचपीयूटीडब्ल्यूए के अध्यक्ष डॉ. नितिन व्यास ने आरोप लगाया कि शिक्षा सचिव ने 10 दिनों से अधिक समय तक वेतन फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए, जबकि फाइल 10 दिनों से उनके डेस्क पर थी। उन्होंने मामले की जांच की भी मांग की।
उन्होंने कहा, “पहले एचपीयू को हिमाचल प्रदेश सरकार से तिमाही अनुदान सहायता मिलती थी, जो अब मासिक आधार पर दी जा रही है। नतीजतन, विश्वविद्यालय को धन प्राप्त करने के लिए हर महीने राज्य सरकार से संपर्क करना पड़ता है।” उन्होंने कहा, “इसके अलावा, विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति के कारण फाइलों का ढेर लग गया है, जिससे विश्वविद्यालय का संचालन प्रभावित हो रहा है।”
यह विरोध प्रदर्शन करीब तीन घंटे तक चला, जिसके बाद कर्मचारियों ने प्रो-वाइस चांसलर राजेंद्र वर्मा से मुलाकात की। उन्होंने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि भविष्य में समय पर वेतन वितरण सुनिश्चित करने के लिए तीन दिनों के भीतर एक नई प्रणाली लागू की जाएगी।
