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युद्धविराम पर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का विश्लेषण

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अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया तो पाकिस्तान ने भी ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस शुरू किया। भारत और पाकिस्तान के इस ऑपरेशन का विश्लेषण अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति ने किया है।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग जैसे हालात नजर आ रहे थे। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च करते हुए पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी हमले करने का प्रयास किया, जिसे भारत ने पूरी तर से नाकाम कर दिया। भारत ने पलटवार करते हुए पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, शनिवार शाम दोनों पक्षों में सीजफायर हो गया। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भारत के पूरे घटनकारम का विश्लेषण सात बिंदुओं में किया है।

अमरुल्लाह सालेह ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा ऑपरेशन सिंदूर बनाम ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस।

  1. भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संभावित गतिरोध को भांपते हुए 1945 के पांच स्थायी सदस्य देशों से सहानुभूति मांगने का प्रयास नहीं किया। ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मविश्वास, रणनीतिक स्वायत्तता और संप्रभुता की भावना का प्रदर्शन किया।
  2. भारत ने पहली बार आतंकवाद और आतंकवाद समर्थकों के बीच के अंतर को समाप्त करते हुए दोनों को निशाना बनाया, जिससे पाकिस्तान के कुछ शक्तिशाली तत्वों द्वारा आतंकवादियों को समर्थन देने की धारणा टूट गई। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है जिसे क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव माना जाना चाहिए।
  3. लड़ाई जारी थी और युद्ध की योजनाएं बन रही थीं, इसी बीच पाकिस्तान ने आईएमएफ से ऋण के लिए बातचीत की, जिसे आश्चर्यजनक रूप से मंजूरी भी मिल गई। पाकिस्तान युद्ध को वित्तपोषित करने में सक्षम नहीं है और आईएमएफ ऋण से युद्ध नहीं जीते जा सकते।
  4. रणनीतिक धैर्य और सांस्कृतिक संयम की भी एक सीमा होती है, जिसकी परीक्षा 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने ली। शायद वो यही चाहते थे, हालांकि उन्हें अपने कृत्य से कोई लाभ नहीं हुआ। शायद वो भारत को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना चाहते थे, लेकिन वो अभी भी 2008 की मानसिकता में फंसे हुए हैं।
  5. किसी भी लड़ाई में देश का आकार मायने रखता है। पाकिस्तान का हर हिस्सा खतरे में था, और नूर खान एयरबेस, जिसे पाकिस्तान का सबसे सुरक्षित बेस माना जाता था का भ्रम भी टूट गया। पाकिस्तानी सेना के गढ़ रावलपिंडी पर भी हमला किया गया, जिससे पाकिस्तानी सेना की पोल खुल गई।
  6. इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान ने इस्लामी फतवों पर अपना एकाधिकार खो दिया, क्योंकि भारतीय उलेमाओं ने अपनी सरकार के सामने अपना फतवा पेश किया, जिससे मुस्लिम उम्माह से सहानुभूति पाने का पाकिस्तान का धार्मिक तरीका खत्म हो गया। वैसे भी देवबंद भारत में स्थित है।
  7. अंत में, लोकतांत्रिक समाज में गोपनीयता बनाए रखना मुश्किल है, लेकिन भारत से बहुत कम जानकारी लीक होती है, जो गोपनीयता बनाए रखने और सार्वजनिक एकता के सिद्धांतों का पालन करने में भारत के कौशल को दर्शाती है।

नोट: मैंने ऑपरेशन बनयान उल मरसूस का बहुत कम या कोई दृश्य नहीं देखा है जिस पर टिप्पणी की जा सके। ऐसा लगता है कि यह कभी भी उस तरह से आगे नहीं बढ़ा जिस तरह से इसका प्रचार किया गया था। सीजफायर ने पाकिस्तान की जान बचाई। पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने अपनी उपलब्धियों पर बयान और दावे किए हैं, लेकिन भारतीय आसमान खुला रहा, उड़ानें रद्द नहीं हुईं और मैंने दिल्ली या अमृतसर में मिसाइलों के गिरने के दृश्य नहीं देखे हैं।

Red Max Media
Author: Red Max Media

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