

लश्कर के आतंकी अब्दुल रऊफ को लेकर बोला गया पाकिस्तानी सेना का झूठ दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। पाकिस्तान जिस आतंकी को मौलाना बता रहा था, वह अमेरिकी सूची में शामिल वांछित टेररिस्ट निकला। उसका डेटा और शक्ल अमेरिकी डेटा से मैच खा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए पाकिस्तानी आतंकियों को जनाजे में मौजूद जिस शख्स पर बोला गया पाकिस्तान का झूठ बेनकाब हो गया है। आतंकियों के जनाजे में मौजूद जिस लश्कर के आतंकी को पाकिस्तानी सेना मौलाना बता रही थी, वह अमेरिका की वांटेड लिस्ट में शामिल टेररिस्ट निकला। इससे पाकिस्तानी सेना की कलई खुल गई है।
वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी को ‘आम आदमी’ के रूप में पेश करने की पाकिस्तान की चाल पर से उस समय पर्दा उठ गया, जब पड़ोसी देश के एक शीर्ष अधिकारी ने हाफिज अब्दुल रऊफ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सार्वजनिक रूप से उजागर कर दी। पाकिस्तानी अधिकारी द्वारा दी गयी जानकारी में रऊफ की राष्ट्रीय पहचान संख्या भी शामिल थी, जो अमेरिकी प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची के ‘डेटाबेस’ में मौजूद विवरणों से मेल खाती है।
आईएसआई ने बोला था झूठ
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक अहमद शरीफ चौधरी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए रऊफ को एक आम आदमी बताया, जिसकी तीन बेटियां और एक बेटा है। रऊफ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के पंजाब के मुदरिके में लश्कर-ए-तैयबा मुख्यालय में मारे गए आतंकवादियों की नमाज अदा की थी। चौधरी ने संवाददाताओं को संबोधित करने के दौरान उसका (रऊफ का) कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र क्रमांक संख्या, उसकी जन्मतिथि 25 मार्च, 1973 बताई और उसे लाहौर का निवासी करार दिया।
अमेरिकी डेटाबेस से मेल खा रहा आईएसआई का विवरण
चौधरी द्वारा दिया गया ये विवरण अमेरिका के वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) के डेटाबेस में दिए गए रऊफ के विवरण से मेल खाता है। अमेरिका का वित्त विभाग विशेष रूप से नामित नागरिकों और आतंकियों की सूची रखता है। पत्र सूचना कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, “आईएसपीआर के महानिदेशक द्वारा साझा की गई पहचान संबंधी जानकारी हाफिज अब्दुर रऊफ की जानकारी से पूरी तरह मेल खाती है, जो कम से कम 1999 से लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ नेतृत्व का सदस्य है और अमेरिकी प्रतिबंध सूची का हिस्सा है।
