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15 हजार फीट ऊंचाई और 12 मिनट में रेडी अस्पताल

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डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, इंडियन एयरफोर्स के C-130J सुपर हरक्यूलिस टैक्टिकल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की मदद से क्यूब को पैरा ड्रॉप और एयरलिफ्ट किया गया.

जंग के मैदान में घायल भारतीय जवानों को फौरन इलाज की जरुरत की बात हो, या फिर भूकंप और बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति में फौरन मेडिकल सहायता की, अगर सही वक्त पर उन्हें पर्याप्त इलाज मुहैया कराया जाए इससे बड़ी राहत की बात और क्या हो सकती है. लेकिन, अब बिल्कुल यही होगा. युद्ध के मैदान में घायल जवानों हो या आपदा की स्थिति में फंसे लोग अब किसी बिना देरी के ही और किसी दूर अस्पताल में लेकर जाने बिना ही इलाज मुमकिन हो पाएगा. उन्हें उसी जगह पर उनको बेहतर इलाज दिया जा सकेगा. यानी, जंग के मैदान में घायल हुए जवानों को अब इलाज बिल्कुल गोल्डेन ऑवर में मिलेगा. ऐसा संभव हो पाया है स्वदेशी आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब से.

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस भारतीय सेना और वायु सेना की तरफ से पहली स्वदेशी आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब पन्द्रह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थापित की गई है, इसे मेडिकल टीम सिर्फ बारह मिनट के अंदर बेहतर इलाज के लिए पूरी तरह से तैयार कर सकती है. यानी, इससे आप इस बात का खुद अंदाजा लगाइये कि किस तरह से समय रहते क्रूशियल वक्त पर अब घायल जवानों का इलाज बिल्कुल आसानी से मुमकिन हो पाएगा.

12 मिनट में हॉस्पिटल तैयार

इस हेल्थ क्यूब की कई खासियत है और इसका वजन 20 किलोग्राम से भी कम है, जिसे एक किलोमीटर तक आसानी से लेकर जाया जा सकता है. इसके साथ ही, इसे 100 फीसदी स्वदेशी उपकरण से तैयार किया गया है, जिसमें जांच के लिए लैब कार्ड टेस्ट सेट है.

इसमें जांच के लिए लैब कार्ड टेस्ट सेट के साथ इमेजिंग सेट, सर्जिकल ओटी लाइट, सर्जिकल ऑपरेटिंग हेडलाइट, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के साथ रोगी के इलाज संबंधी जानकारी भी सुरक्षित रखने की पूरी सुविधा है. हेल्थ क्यूब में 72 तरह के इलाज मैटेरियल्स हैं और इनका चयन आपात स्थिति में इलाज संबंधी सेवाओं के लिए किया गया है.

हेल्थ क्यूब को हर मौसम को झेलने के हिसाब से उसी क्षमता के अनुरुप तैयार किया गया है. बेहद कम समय में हेल्थ क्यूब को सेट करके गोल्डेन ऑवर ट्रीटमेंट दिया जा सकता है, यानी उस वक्त इलाज दिया जा सकता है, जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण इसके अंदर मौजूद है. इमरजेंसी सिचुएशन में प्रयोग होने वाली अधिकतर दवाओं का इसमें भंडार है. साथ ही, ये पोर्टेबल वेंटिलेटर के साथ मल्टी पैरामीटर मॉनिटर से भी लैस है.

डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, इंडियन एयरफोर्स के C-130J सुपर हरक्यूलिस टैक्टिकल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की मदद से क्यूब को पैराड्रॉप और एयरलिफ्ट किया गया. सेना के पैरा ब्रिगेड की पैरा ड्रॉपिंग में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो दुर्गम और ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जानी जाती है.

आपात-आपदा की स्थिति में उपचार

आपदा और आपातकालीन स्थिति में हेल्थ क्यूब से बेहतर ट्रीटमेंट संभव होगा, जिसे भारत हेल्थ इनीशिएटिव ऑफ सहयोग हित और मैत्री (BHISHM) प्रोग्राम के तहत तैयार किया गया है. इसकी खास बात ये भी है कि गंभीर तौर पर घायल होने की स्थिति में पच्चीस तरह के जलन के मामले, पच्चीस तरह के रक्तस्त्राव और 40 तरह की बुलेट इंजरी का इलाज हो पाएगा. सिर में चोट समेत अन्य गंभीर चोट के इलाज की सुविधा भी इसके जरिए हो पाएगी. साथ ही, जबड़ा, सीना, रीढ़ की हड्डी और हाथों-पैरों में चोट के इलाज के साथ ट्रॉमा सेंटर की बीस से अधिक सर्जरी इस हेल्थ क्यूब में संभव हो पाएगी.

भारतीय सेना के प्रवक्ता की तरफ से ये बताया गया कि करीब 15 हजार की ऊंचाई पर दुनिया के पहले पोर्टेबल हॉस्पिटल का पैराड्रॉप किया गया. सेना की पैराब्रिगेड ने इसे नीचे लाने के लिए प्रिसिजन ड्रॉप इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल किया है. हालांकि, डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि इस पोर्टेबल हॉस्पिटल को कहां पर गिराया गया.

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप ही इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है, ताकि आपदा की स्थिति में महत्वपूर्ण मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके. रक्षा मंत्रालय के बयान में ये भी कहा गया है कि भारतीय वायुसेना का अत्याधुनिक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-130J सुपर हरक्यूलस का इस्तेमाल हेल्थ क्यूब के एयरलिफ्टिंग और पैराड्रापिंग के लिए किया गया.

मॉडर्न इक्विपमेंट से लैस हेल्थ क्यूब

भीष्म ट्रॉमा क्यूब की सफलतापूर्वक पैराड्रॉपिंग और उसका डिप्लॉयमेंट आर्म्ड फोर्सेज में आपसी तालमेल और एकता को जाहिर करता है. साथ ही, फौरन सहायता पहुंचाने की प्रतिबद्धता को महत्व को भी दिखाता है. गौरतलब है कि कहीं भी आपात स्थिति में एनडीआरएफ से लेकर सेना के जवानों को लगाया जाता है. सबसे पहला इनका काम आपदा में फंसे लोगों को निकालना होता है.

ऐसे में लोगों को उस हालत में वहां से निकालकर एंबुलेंस या किसी अन्य चीजों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाता है. कई बार इन चीजों में इतनी देर हो जाती है कि ब्लीडिंग के चलते मौत तक हो जाती है. लेकिन, अगर मौके पर ही अस्पताल की सारी सुविधाएं मिल जाएंगी तो फिर इससे आसानी से जान बचाया जा सकेगा. दुनिया में ये इस तरह का अपने आप में पहला हॉस्पिटल है, जिसका इस्तेमाल मेले, आपदा, बड़े इवेंट्स और दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में किया जा सकता है.

खास बात ये है कि इस साल जनवरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया गया था. हाइटेक तकनील से लैस हेल्थ क्यूब को तय जगह पहुंचने के पन्द्रह मिनट के अंदर तैयार किया जा सकता है. युद्ध, जंगल, बाढ़ या फिर भूकंप वाले इलाकों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इतना ही नहीं, महज घंटे भर के अंदर इसे एक जगह से दूसरे जगह पर भी शिफ्ट किया जा सकता है. जाहिर है, मुश्किल स्थिति में अब तक जिस तरह मदद जवानों या फिर पीड़ितों को नहीं मिल पाती थी, अब इस कदम के बाद न सिर्फ उन्हें समय रहते मदद मिलेगी, बल्कि उनकी जान तक बचाई जा सकेगी. क्यूब को BHISM यानी भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग हित एंड मैत्री के तहत तैयार किया गया है. इस ऑपरेशन में सेनाओं की क्षमताओं को भी रेखांकित किया गया है.

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Author: Red Max Media

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