

फर्जी टोल वसूली के मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने बड़ा एक्शन लिया है। प्राधिकरण ने 14 एजेंसियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा जमानत राशि भी जब्त कर ली है। यूपी के मीरजापुर के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने छापा मारा। इसके बाद टोल घोटाले का खुलासा हुआ। जांच में सामने आया कि देशभर के 42 टोल प्लाजा पर घोटाला किया जा रहा था।
42 टोल प्लाजा पर अवैध वसूली
फर्जी सॉफ्टवेयर से हो रही थी वसूली
टोल प्लाजा पर बिना फास्टैग या प्रतिबंधित फास्टैग वाले वाहनों से संग्रहण के अनुबंधित एजेंसियों के कर्मी फर्जी सॉफ्टवेयर से अवैध वसूली कर रहे थे। मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इस मामले में चली कानूनी कार्रवाई के साथ ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने भी तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की।
दो साल का प्रतिबंध भी लगा
अब इन टोल प्लाजा पर टोल संग्रह का काम नई एजेंसियों को सौंपने को कहा गया है। इसके साथ ही मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी है कि सटीक आंकड़ा जुटाने के लिए प्रमुख (हाई वैल्यू) टोल प्लाजा पर एआई का उपयोग करते हुए ऑडिट कैमरे भी लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है।
गलत टोल संग्रह के लिए रिफंड किए 12.55 लाख रुपये
नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा गलत टोल संग्रह किए जाने की सूचना दी थी। ऐसे कुल 410 करोड़ फास्टैग लेनदेन थे, जो सभी फास्टैग लेनदेन का 0.03 प्रतिशत है।
बिना यात्रा भी वसूल लिया जाता टोल शुल्क
मंत्री ने बताया कि अगर टोल एजेंसियां गलत यूजर चार्ज वसूलने की जिम्मेदार पाई जाती हैं तो अनुबंध के अनुसार उस अतिरिक्त यूजर चार्ज पर 30-50 गुना जुर्माना लगाया जाता है। दरअसल, कभी-कभी वाहनों से राष्ट्रीय राजमार्ग या एक्सप्रेसवे पर यात्रा किए बिना भी टोल शुल्क वसूल लिया जाता है।
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि एजेंसियां मैन्युअल रूप से वीआरएन-आधारित लेनदेन बनाते समय सिस्टम में गलत वाहन पंजीकरण संख्या (वीआरएन) दर्ज कर देती हैं। कभी-कभी फास्टैग रीडर द्वारा कई बार रीडिंग लेने के कारण दोगुना शुल्क ले लिया जाता है।
