

16 वनरक्षकों की एक टीम शनिवार देर रात अवैध खनन के पत्थरों को पकड़ने पहुंची थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने फॉरेस्ट गार्ड की टीम पर हमला कर दिया। इस हमले में पांच वन रक्षक घायल हो गए।
झारखंड के पलामू जिले में ‘अवैध रूप से खनन किये गये पत्थरों’ को जब्त करने गए वन रक्षकों पर ग्रामीणों के एक समूह ने कथित तौर पर हमला कर दिया, जिसमें पांच वन रक्षक घायल हो गये। उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) अवध यादव ने रविवार को बताया कि यह घटना छतरपुर थानाक्षेत्र के बांसडीह जंगल में हुई। यादव ने बताया कि वन विभाग को सूचना मिली थी कि बांसडीह जंगल में अवैध रूप से पत्थरों का खनन कर भंडारण किया जा रहा है।
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 16 वनरक्षकों की एक टीम शनिवार देर रात घटनास्थल पर पहुंची जहां उसे पत्थरों से भरे दो ट्रैक्टर मिले। इस बीच वन विभाग की टीम को माइनिंग माफिया और स्थानीय ग्रामीणों ने घेर कर सभी के साथ मारपीट की। दो वन कर्मियों का मोबाइल भी छीन लिया। वन कर्मी किसी तरीके से अपनी जान बचाकर भागे। इसके बाद ग्रामीण पकड़े हुए दोनों ट्रैक्टर और तस्करी के आरोपी व्यक्ति को अपने साथ ले गए।
घायल वन रक्षक का बयान
हमले का शिकार हुए वन रक्षकों में से एक आशुतोष तिवारी ने कहा, ‘‘जैसे ही हमने वाहनों को जब्त किया, महिलाओं और बच्चों समेत ग्रामीण वहां एकत्र हो गए और उन्होंने हम पर हमला कर दिया, जिसके बाद एसडीपीओ और अन्य अधिकारियों ने हमें बचाया।’’ तिवारी उन वनरक्षकों में शामिल हैं जो ग्रामीणों के इस हमले में घायल हो गये।
जांच कर रही पुलिस
घायलों को मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल वन रक्षकों का इलाज कर रहे डॉक्टर आरके रंजन ने बताया कि फिलहाल स्थिति खतरे से बाहर है, लेकिन अभी भी सभी वन रक्षकों को निगरानी में रखा गया है। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। घटना के बाद पूरे इलाके में छापेमारी अभियान चलाया गया।
रीवा और शहडोल में भी पुलिसकर्मियों पर हमले
मार्च के महीने में यह पुलिसकर्मियों या वन रक्षकों पर हमले की तीसरी घटना है। इससे पहले मध्य प्रदेश के मऊगंज में ग्रामीणों ने पुलिस की टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे और एक एएसआई की मौत भी हो गई थी। इसके बाद शहडोल में पुलिस टीम पर हमला हुआ था, जिसमें महिला पुलिसकर्मी सहित कई पुलिसकर्मियों को हल्की चोट आई थी।
