

पंजाब रोडवेज और पनबस के संविदा कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, दो घंटे तक रहीं बस सेवाएं प्रभावित
पंजाब में सविंदाकर्मियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है, आज पंजाब रोडवेज और पनबस के संविदा कर्मचारियों ने राज्य के अधिकतर बस अड्डों पर प्रदर्शन किया है।
पंजाब सरकार के खिलाफ रोडवेज और पनबस के संविदा कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। संविदा कर्मचारियों ने अपनी नौकरियों को नियमित करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को विभिन्न बस स्टैंड पर 2 घंटे की हड़ताल रखी। इस दौरान 2 घंटे तक बस सेवाएं ठप रहीं और लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
बस अड्डों पर गेट बंद कर किया प्रदर्शन
प्रदर्शनकारी कर्मियों ने राज्य के विभिन्न बस स्टैंड के निकास द्वार बंद कर दिए और अपना प्रदर्शन किया, जिससे बस सेवाएं प्रभावित रहीं और यात्रियों को खासा असुविधा हुई। जानकारी दें दें ‘पंजाब रोडवेज, पनबस एंड पीआरटीसी (पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन’ ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार की नजरअंदाज रवैए के विरोध में 2 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया था।
7 अप्रैल से फिर होगा आंदोलन
तरनतारन में एक प्रदर्शनकारी कर्मी ने कहा, ‘‘हमारी मुख्य मांग नौकरियों को नियमित करना है।’’ प्रदर्शनकारियों ने उनकी मांगें न मानने के लिए पंजाब सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए। इसके अलावा, उन्होंने मांगें पूरी न होने पर 7, 8 और 9 अप्रैल को पूर्ण हड़ताल करने की चेतावनी दी।
होशियारपुर में हड़ताल के दौरान ‘पंजाब रोडवेज, पनबस एंड पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन’ (होशियारपुर इकाई) के अध्यक्ष रमिंदर सिंह ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के वादे को पूरा करने में असफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।
सीएम मान ने दिया था भरोसा
गौरतलब है कि पिछली जुलाई में यूनियन प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भरोसा दिया था कि इन सविंदाकर्मियों की नौकरियां नियमित कर दी जाएंगी। जब इसे सरकार की ओर से नजरअंदाज किया गया तो कर्मियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हालांकि, सरकार ने इसके बाद कई बैठकों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया और इस मुद्दे का समाधान किए बिना हालिया राज्य बजट पेश किया।
रमिंदर सिंह ने बताया कि महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा स्कीम के लिए नवीनतम बजट में 450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है। नौकरियों के नियमितीकरण के अलावा, कर्मचारी वेतन वृद्धि और ‘आउटसोर्सिंग’ के जरिए कर्मचारियों की भर्ती बंद करने की भी मांग कर रहे हैं।
