

भारत और ब्रिटेन के बीच इस व्यापार समझौते में चमड़ा, जूते और कपड़ों जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों के निर्यात पर टैक्स हटाने का प्रस्ताव है।
2030 तक 120 अरब डॉलर तक व्यापार बढ़ाना चाहते हैं दोनों देश
भारत और ब्रिटेन के बीच इस व्यापार समझौते में चमड़ा, जूते और कपड़ों जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों के निर्यात पर टैक्स हटाने का प्रस्ताव है। साथ ही ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों के आयात को सस्ता बनाने का प्रस्ताव है, ताकि 2030 तक दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार दोगुना होकर 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सके। इस समझौते में वस्तुओं, सेवाओं, नवाचार, सरकारी खरीद और बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे मुद्दों पर अध्याय हैं। समझौते के पाठ पर आमतौर पर दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद, इसे प्रभावी होने से पहले ब्रिटिश संसद से मंजूरी की आवश्यकता होगी।
दोनों देशों ने सामाजिक सुरक्षा समझौते पर भी पूरी की बातचीत
दोनों देशों ने दोहरे अंशदान सम्मेलन समझौते या सामाजिक सुरक्षा समझौते पर बातचीत भी पूरी कर ली है। इससे ब्रिटेन में सीमित अवधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों द्वारा सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरे अंशदान से बचने में मदद मिलेगी। हालांकि, द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर बातचीत अभी भी जारी है। दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षर और अनुसमर्थन के बाद एफटीए लागू हो जाता है।
मुक्त व्यापार समझौते में क्या होता है
मुक्त व्यापार समझौतों में, दोनों देश अपने बीच व्यापार की जाने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। ये समझौते सेवाओं और द्विपक्षीय निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के मानदंडों को भी आसान बनाते हैं। 2024-25 में भारत का ब्रिटेन को निर्यात 12.6 प्रतिशत बढ़कर 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात 2.3 प्रतिशत बढ़कर 8.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 20.36 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 21.34 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
