
एक मसाला फिल्म अगर आपसे सीटी न बजवा दे, पैरों में करंट न दौड़ा दे और आपको हूटिंग करने पर मजबूर न कर दे, तो फिर वो सच्ची मसाला फिल्म नहीं होती. शायद उसमें मसाला कच्चा रह गया है, सही से पका नहीं है. रोहित शेट्टी के कॉप यूनिवर्स का अवेंजर्स मोमेंट बनकर आई ‘सिंघम अगेन’ देखने का मकसद ही यही है कि आदमी त्यौहार के मौके पर, दिमाग और लॉजिक किनारे रख के सिर्फ एन्जॉय करे.
क्या है कहानी?
‘सिंघम अगेन’ की कहानी कश्मीर से शुरू होती है, जहां बाजीराव सिंघम ने ‘आतंकवाद का नामोनिशान मिटा दिया है.’ फिल्म बताती है कि सिंघम की फोर्स ने मिलिटेंट बन चुके युवाओं को रिफॉर्म करके उन्हें भी फ़ोर्स का हिस्सा बनाया है. कश्मीर टूरिज्म के इस विज्ञापन के बीच ही सिंघम पर अटैक होता है. लेकिन सिंघम न सिर्फ अटैक से बचता है, बल्कि हमलावर को दबोच भी लेता है जो कोई और नहीं उमर हाफिज (जैकी श्रॉफ) है
यहां समझ नहीं आता कि कौन सा फैक्ट ज्यादा चौंकाने वाला है- इस उम्र में जैकी को धुआंधार तरीके से बाइक राइड करते देखना या फिर पिछली कॉप यूनिवर्स फिल्मों में भयानक माने जा रहे किरदार का शुरू में ही अरेस्ट हो जाना?
उमर ने सिंघम को बताया है कि कोई है जो उससे भी खतरनाक है और वो आ रहा है. इतना पता है कि वो तमिलनाडु से आएगा. अबतक मिनिस्टर बने रवि किशन भी आपको नजर आ चुके हैं और एक देशभर में आतंक को काउंटर करने के लिए एक नया स्क्वाड बन चुका है जिसका नाम है ‘शिवा स्क्वाड’. इस स्क्वाड में हर इलाके के ‘सिंघम’ ऑफिसर्स हैं. तो तमिलनाडु से आने वाले खतरे को हैंडल करने की जिम्मेदारी दी जाती है लेडी सिंघम उर्फ शक्ति शेट्टी को. उसे एक छोटी कामयाबी मिलती है, लेकिन बड़ी नाकामयाबी.
यहां पहली बार आपकी फिल्म का विलेन ‘डेंज़र लंका’ (अर्जुन कपूर) नजर आता है. वो शक्ति शेट्टी के पुलिस स्टेशन में घुसकर 15 पुलिस बालों को मार डालता है. हालांकि, जिस तरह वो इस कांड को अंजाम देता है उससे आपको साउथ की कई फिल्में याद आएंगी. शक्ति शेट्टी अपने धाने पर ये हमला इसलिए नहीं रोक पातीं, क्योंकि उनका फोन नहीं लग रहा था. ये टिपिकल रोहित शेट्टी वाली दिक्कतें हैं, जो उनकी हर फिल्म में रहती हैं.
40 मिनट बाद डूबने लगती है फिल्म
किरदार हीरोइज्म तो दिखाते हैं, मगर उनके लिए हीरोइज्म दिखाने का मौका, उनकी ही किसी निहायत बेवकूफाना गलती से बनता है. किसी का फोन न लगना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिस तरह के हीरो रोहित कॉप यूनिवर्स के ये किरदार हैं, क्या उन्हें ऐसा करना शोभा देता है?
यहां से जो समस्या दिखनी शुरू होती है, वो आपको लगातार दिखती रहेगी. ट्रेलर में आपने देखा ही होगा कि डेंजर लंका, सिंग्हम की पत्नी अवनि (करीना कपूर) को अगवा कर के ले जाता है. दरअसल, अवनि एक प्रोजेक्ट रामायण पर काम कर रही है, जिसकी कुछ फुटेज डिलीट हो गई है, और इसे दोबारा शूट करने वो खुद कैमरा लेकर फील्ड में है. खतरे को देखते हुए उसके साथ पुलिस ऑफिसर्स भी हैं. लेकिन मैडम ने चाय मंगाई, पुलिसवाला लेने गया, और इधर इनका किडनैप हो गया.
डेंजर लंका की इस हरकत को सिंघम का ट्रेन किया हुआ एक और ऑफिसर सत्या (टाइगर श्रॉफ) भी रोकने की कोशिश करता है. सत्या की फाइट वगैरह किसी भी आम पुलिस वाले की तरह नहीं है, क्योंकि वो एक कलारिपयाडू मास्टर है. वो जिस आश्रम में बड़ा हुआ है, वो उसी जंगल में है जिसके रास्ते डेंजर लंका अवनि को लेकर जा रहा है. सत्या भी एक बार कामयाब होता है, लेकिन फिर उसके आश्रम पर डेंजर लंका खुद अटैक कर देता है. और इस कलारिपयाहू मास्टर को इतना बेसिक नहीं पता कि घर के पिछले गेट से भी विलेन के गुंडे आ सकते हैं.
अवनि घायल भी हो जाती है और लंका उसे फिर लेकर चल देता है. सत्या का भी काम तमाम होने ही वाला होता है कि तभी सिंघम सर आ जाते हैं. जो थोड़ी ही देर पहले हेलीकॉप्टर से, उस जगह पहुंचे थे जहां पर सत्या ने अवनि को बचाया था. उन्हें पता भी लगा था कि अवनि अब सत्या के आश्रम पर है. लेकिन वो हेलिकॉप्टर से सीधा आश्रम नहीं पहुंचे. यही सब गलतियां तो सिंघम सर को इंसान बनाती हैं, वरना रोहित ने तो उनके लिए संस्कृत में स्तुतियां वगैरह जोड़कर उन्हें देवता बना ही दिया था.
