सीपीइसी पर मंडराता खतरा

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सीपीइसी पर मंडराता खतरा

पाकिस्तान ने बड़े ही शोर शराबे के साथ चीन को सुरक्षा का वादा किया था. हालात यह हो गए की वह अपने ही सुरक्षाबलों की सुरक्षा कर पाने में नाकाम हो रहा है.ग्लोबल टेरेरिज्म में पाकिस्तान दूसरे नंबर पर है. TTP और बलूच विद्रोहियों ने चीन और पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है. अब तक तो साल की सबसे बडी घटना में क्वेटा रेलवे स्टेशन धमाका था, लेकिन ट्रेन हाईजैक उससे कहीं बड़ा है. चीन के नागरिक पहले ही TTP और बलूच विद्रोहियों के निशाने पर है. अब खतरा और बढ़ गया है

पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है वह उसी की नीतियों के चलते ही है. जिस तरह का दमन बलूच लोगो के खिलाफ पाक फौज और पाक सरकार ने किया है, एक ना एक दिन ऐसा होगा यह कयास लगाए जा ही रहे थे. ट्रेन हाईजैक साल की सबसे बडी घटना बन गई है. इस घटना से पाकिस्तान तो परेशन होगा ही. चीन की सांसे भी अटकी हुई है. BLA पहले ही कई बार चीन को घमकी दे चुका है कि वह अपना कारोबार बलूचिस्तान से समेटकर निकल जाए. लेकिन चीन के लिए यह संभव नही लग रहा है. करोड़ो डॉलर CPEC पर जो झोंक चुका है. इस ट्रेन हाईजैक के बाद से चीन की मुश्किलें बढ़ चुकी है.

CPEC (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) बलूच के निशाने पर
चीन ने बलूचिस्तान के रास्ते अपने एनर्जी ट्रेड को सुरक्षित करना चाहा था. अब तो लगता है CPEC ही सुरक्षित नही दिख रहा. जिस तरह से ट्रेन को हाईजैक किया गया उससे पाक सेना का सुरक्षा देने का दावा भी कमजोर हो गया. दरअसल चीन को पाकिस्तान से हर संभव सुरक्षा का वादा जो किया था. हाईजैक के बाद जो बयान चीनी प्रवक्ता ने दिया उससे साफ लग रहा है कि उनकी चिंताए बढ़ गई है. चीन की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, चीन हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है. चीन पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरी मजबूती के साथ सहयोग देता रहेगा. ताकि क्षेत्र में शांति, क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे. इस बयान के बाद एक बार फिर से इस बात के कयास लगाए जा रहे है कि कहीं चीन अपनी सेना को ही पाकिस्तान में CPEC की सुरक्षा में तैनात ना कर दे.

क्या चीन भेजेगा पाक में अपनी सेना?
CPEC प्रोजेक्ट चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है और करोड़ों डॉलर चीन इस पर खर्च भी कर चुका है लेकिन पाकिस्तान चीनी नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर सका. रिपोट के मुताबिक 2022 से चीन लगातार CPEC के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित था. उनकी सुरक्षा के लिये चीनी सुरक्षाबलों की यूनिट तैनात करने को कहा था लेकिन रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान ने उसे सिरे से खारिज कर दिया था लेकिन चीनी दबाव के चलते जल्द चीन और पाकिस्तान के बीच ज्वाइंट सिक्योरिटी कंपनीज फ्रेमवर्क ( एंटी टेररिज्म कॉपरेशन) पर दस्तखत हो है. यानी की बलूचिस्तान में चीनी सुरक्षाबलों की तैनाती हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक इस फ्रेमवर्क के तहत जिस जगह चीनी नागरिक काम कर रहे होंगे उनकी सुरक्षा घेरों की होंगे. अंदर वाला घेरा चीनी ट्रूप के पास को बाहरी घेरा पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के हाथों में. इसके पीछे की कोशिश है कि चीनी नागरिकों का संपर्क बाहरी लोगों से कम से कम हो इसके अलावा इस समझौते के तहत चीनी नागरिकों का मूवमेंट बख्तरबंद वाहनों के जरिए किया जाए.

 

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Author: Red Max Media

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