

पंजाब कांग्रेस कमेटी की एक बड़ी बैठक वहां के प्रभारी भूपेश बघेल ने दिल्ली में बुलाई थी. मगर उस बैठक में नवजोत सिंह सिंद्धू शामिल नहीं हुए. इससे बघेल की टेंशन बढ़ गई है.
नई दिल्ली में कांग्रेस की पंजाब पॉलिटिकल ऑफर कमेटी की बैठक हुई. इस बैठक में संगठन को मजबूत करने को लेकर चर्चा हुई. इसमें कहा गया कि माइक्रो मैनेजमेंट करके पार्टी को और मजबूत किया जाएगा. पंजाब सरकार की कमियों के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई जाएगी. बूथ कमेटी बनाई जाएगी. नशा और ड्रग्स के मुद्दों पर भी चर्चा हुई. ये ताकीद की गई कि नेता मीडिया में नहीं बल्कि पार्टी फोरम पर बयान दें. डीलिमिटेशन पर एक कमेटी बनाई जाएगी जो पंजाब के हक के लिए आवाज उठाएगी. पंजाब में लोकल स्तर पर यात्रा निकालने की तैयारी है. मगर सबसे बड़ी बात ये है कि इस बैठक में कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू नहीं शामिल हुए.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब कांग्रेस के प्रभारी भूपेश बघेल ने गुरुवार को दिल्ली में राज्य के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई थी. यह बैठक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा विभिन्न राज्यों के लिए आयोजित बैठकों की श्रृंखला का हिस्सा थी. जिसका मकसद राज्य के नेताओं से राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी हासिल करना था. इस बैठक में पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजा बरार, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जैसे प्रमुख नेता शामिल हुए.
सिद्धू की गैर मौजूदगी पार्टी के भीतर कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक नहीं थी. हाल के समय में, उन्होंने कांग्रेस की गतिविधियों से दूरी बनाए रखी है. यह दूरी 2022 में एक रोड रेज घटना के कारण 10 महीने की जेल और फिर उनकी पत्नी की बीमारी के बाद सक्रिय राजनीति से पीछे हटने के कारण शुरू हुई. 2022 के चुनावों में, सिद्धू ने अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) की जीवन ज्योत कौर से 6,750 वोटों के अंतर से हार गए थे. तब से, वे ज्यादातर अपने गृहनगर पटियाला में ही रहे हैं.
हालांकि, राजनीतिक परिदृश्य से उनकी गैर-मौजूदगी के बावजूद, सिद्धू ने कभी-कभी पार्टी मामलों में अपनी रुचि का संकेत दिया है. जनवरी में, उन्होंने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से मुलाकात की और उनकी मुलाकात की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की. बहरहाल इस बैठक में चर्चा के दौरान, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने प्रस्तावित परिसीमन के बारे में चिंताओं को उजागर किया. उन्होंने बताया कि जबकि कुल लोकसभा सीटों की संख्या परिसीमन के बाद 543 से लगभग 848 तक बढ़ने की उम्मीद है. पंजाब का प्रतिनिधित्व केवल मामूली रूप से बढ़ेगा, जो 13 से लगभग 18 सीटों तक हो सकता है.
