
हरियाणा की पहली महिला ड्रोन पायलट! तकनीक के दम पर बदल रही हैं किसानों की तकदीर
हरियाणा की पहली महिला ड्रोन पायलट, निशा सोलंकी महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविघालय करनाल से जुड़कर किसानों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग देने में लगी हैं, ताकि खेती और किसान किसी भी मामले में पीछे न रह जाएं।
घर की रसोई से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक, सब कुछ आधुनिक हो चुका है। ऐसे में खेती का क्षेत्र पिछड़ा न रहे इसलिए एक से बढ़कर एक तकनीक विकसित की जा रही है। इसमें से कम ही तकनीकें हैं, जो किसानों तक पहुंच पा रही हैं। लेकिन हरियाणा की महिला ड्रोन पायलट निशा सोलंकी किसानों को तकनीक के दम पर ही तरक्की करते देखना चाहती हैं और इसके लिए वह कोशिश भी कर रही हैं।
निशा एक एग्रीकल्चर इंजीनियर हैं। लेकिन किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिए उन्होंने ड्रोन उड़ाना सीखा और आज एक ड्रोन पायलट बनकर वह किसानों को इसका इस्तेमाल करना सिखा रही हैं। पुरुष प्रधान माने जाने वाले खेती के काम को ज्यादा से ज्यादा महिलाएं और युवा अपनाएं, इसी सोच को ध्यान में रखकर निशा ने एग्रीकल्चर की पढ़ाई की थी।
लेकिन अपनी पढ़ाई के दौरान, जब उन्हें खेती में ड्रोन के उपयोग और इसके फायदों का पता चला, तो उन्होंने लीग से हटकर कुछ नया करने की ठानी। इसके बाद उन्होंने प्रोफेशनल ड्रोन पायलट का कोर्स किया। आज वह महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविघालय करनाल से जुड़कर ड्रोन प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं और कई किसानों को इसका उपयोग करना भी सिखा रही हैं।
निशा का कहना है कि ड्रोन को खेती से जोड़ने के अनेक फायदे हैं, जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। किसान, ड्रोन से पानी और दवाई स्प्रे करके न केवल भारी मात्रा में पानी की बचत कर सकते हैं, बल्कि इससे घंटों का काम मिनटों में हो जाता है।
एक ओर जहां परपंरागत खेती करते समय एक एकड़ खेत में 200 लीटर पानी की ज़रूरत होती है। वहीं, ड्रोन से मात्र 10 लीटर पानी ही लगता है। इसके साथ दवा की काफी बचत होती है। परम्परागत खेती में जिन कीटनाशकों का इस्तेमाल किसान करते हैं, उन्हें छिड़कने से स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता था, जबकि ड्रोन की मदद से यह समस्या भी हल हो सकती है।
आशा है, निशा के प्रयासों से आने वाले दिनों में कई किसान ड्रोन को खेती में इस्तेमाल करके इसका लाभ उठांएगे। निशा सोलंकी एक आशा की नयी रोशनी हैं इनको रेड मैक्स मीडिया की तरफ से आभार और नमन।
