

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने दावा किया कि यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो लोकसभा की सीट संख्या में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व 24 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत रह जाने की आशंका है।
तेलंगाना विधानसभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए जनसंख्या को एकमात्र पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने दावा किया कि इस तरह के मानदंड से लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में दक्षिणी राज्यों के प्रतिनिधित्व में छह प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। प्रस्ताव पेश करने वाले मुख्यमंत्री रेड्डी ने दावा किया कि यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो लोकसभा की सीट संख्या में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व 24 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत रह जाने की आशंका है।
रेड्डी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी लोकसभा में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम करके केंद्र सरकार के गठन में उन्हें अप्रासंगिक बनाने की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने तेलंगाना के सभी दलों से राज्य के हितों की रक्षा के लिए केंद्र से मिलकर बात करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र (हमारे मुद्दे पर) एकमत है तो ठीक है, अन्यथा हमें संघर्ष करना होगा।’’
दक्षिणी राज्यों के सीएम से अपील
रेवंत रेड्डी ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे परिसीमन पर उनकी सरकार द्वारा शीघ्र ही आयोजित की जाने वाली राजनीतिक दलों और जन संगठनों की बैठक में शामिल हों। उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल होने वाले लोगों को केंद्र के साथ मुद्दों को सुलझाने में एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई थी, लेकिन केंद्र ने कहा था कि वह 2026 की जनगणना के बाद ही निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करेगा।
केंद्र सरकार पर लगाए आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि तेलंगाना और अन्य दक्षिणी राज्यों को उनके द्वारा दिए गए करों के अनुपात में केंद्र से धन नहीं मिल रहा है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को अधिक धन दिया जा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जिन राज्यों में केंद्र द्वारा चलाए गए जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू होने से जनसंख्या में कमी आई है, उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए, परिसीमन के लिए जनसंख्या को एकमात्र पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
प्रस्ताव में क्या?
इसमें कहा गया है, ‘‘यह ध्यान देने योग्य बात है कि राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण के उद्देश्य से 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों के पीछे का उद्देश्य अभी तक पूरी नहीं हो पाया है।’’ प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य को एक इकाई के रूप में लेते हुए, संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया जा सकता है, नवीनतम जनसंख्या के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीट की संख्या को विधिवत बढ़ाया जा सकता है और महिलाओं के लिए आरक्षण भी प्रदान किया जा सकता है। तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष जी. प्रसाद कुमार ने प्रस्ताव पारित होने की घोषणा की।
दक्षिण भारत अपनी राजनीतिक आवाज खो देगा- रेड्डी
हाल में चेन्नई में तमिलनाडु के अपने समकक्ष एम के स्टालिन द्वारा परिसीमन पर बुलाई गई बैठक में शामिल हुए रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया था कि अगर केंद्र की राजग सरकार जनसंख्या के आधार पर परिसीमन करती है तो दक्षिण भारत अपनी राजनीतिक आवाज खो देगा। उन्होंने कहा था कि दक्षिण के राजनीतिक दलों और नेताओं को ऐसे किसी भी कदम का विरोध करना चाहिए।
