

जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को मिली केंद्र की मंजूरी, दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट हुआ तबादला, अधिसूचना जारी
दिल्ली हाईकोर्ट से जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट हो गया है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के फैसले पर केंद्र सरकार की मुहर लग गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर आदेश को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। सरकार की ओर इस ट्रांसफर की अधिसूचना जारी कर दी गई है। यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित तौर पर नकदी मिलने से जुड़े विवाद के बीच उनका ट्रांसफर किया गया है विधि मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर उनके ट्रांसफर का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने इस सप्ताह की शुरुआत में जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर करने की सिफारिश करते हुए कहा था कि यह कदम होली की रात उक्त जज के आधिकारिक आवास में आग और कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले में आंतरिक जांच के आदेश से अलग है।
तीन सदस्यीय आंतरिक जांच
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। अब वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। बता दें कि दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर कैश मिलने की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन सदस्यीय आंतरिक जांच शुरू की थी। दरअसल, 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लग गई थी। आग बुझाने के दौरान वहां नोटों की गड्डियां जलती हुई देखी गई थीं। आग की चपेट में आने से काफी नेट जल गए थे। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है और जांच जारी है।
जांच से संबंधित याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक व्यक्ति के उस दावे पर स्वतः संज्ञान लेकर निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने कहा कि एक जज के खिलाफ जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष को भेजी गई उसकी शिकायत पर विचार नहीं किया गया है। जज का नाम लिए बिना वादी ने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि एक व्यक्ति के कारण सैकड़ों न्यायाधीशों की छवि खराब हो।’’ इस पर, मुख्य न्यायाधीश डी.के.उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘कोई भी ऐसा नहीं चाहता।’’
जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित तौर पर नकदी की अधजली बोरी मिलने को लेकर जारी विवाद की पृष्ठभूमि में चीफ जस्टिस उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष यह उल्लेख किया गया। व्यक्ति ने कहा कि वह संबंधित जज के खिलाफ जांच का आदेश देने के लिए सीबीडीटी के अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत पर विचार न किए जाने से व्यथित हैं।
जब पीठ ने उससे पूछा कि वह यहां क्या चाहता है और क्या उसने उच्च न्यायालय में कोई याचिका दायर की है तो व्यक्ति ने कहा, ‘‘क्या आप कृपया इस पर स्वत: संज्ञान लेकर निर्देश पारित कर सकते हैं।’’ पीठ ने स्पष्ट किया कि वह यह सुझाव न दे, और ‘‘स्वत: संज्ञान न्यायालय के लिए है, आपके लिए नहीं’’। तब व्यक्ति ने कहा, ‘‘तो फिर मैं केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) शिकायत और पुलिस शिकायत के साथ एक जनहित याचिका दायर करूंगा।’’ इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आप जो चाहें करें, हम आपको सलाह देने के लिए यहां नहीं बैठे हैं।’’
