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कोलकाता हाईकोर्ट ने रामनवमी जुलुस की सशर्त दी अनुमति

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कोलकाता हाई कोर्ट ने रामनवमी जुलुस की सशर्त दी अनुमति

कोलकाता हाई कोर्ट ने अंजनी पुत्र सेना के राम नवमी जुलूस को दी अनुमति, 500 भक्त हो सकते हैं शामिल

कोलकाता हाई कोर्ट ने कहा है कि जुलूस में 500 भक्त शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इसमें शामिल होने वाले सभी लोगों की लिस्ट पहचान पत्र के साथ देनी होगी।

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में अंजनी पुत्र सेना के राम नवमी जुलूस को मिली कोलकाता हाई कोर्ट ने अनुमति दे दी है। इससे पहले बंगाल प्रशासन ने इस जुलूस को निकालने की अनुमति नहीं दी थी। वहीं, हाईकोर्ट ने अंजनी पुत्र सेना और विश्व हिंदू परिषद दोनों को जुलूस निकालने की अनुमति दे दी है। जुलूस पुराने रास्ते से ही निकाला जाएगा। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

कोलकाता हाई कोर्ट ने शर्तों के साथ जुलूस निकालने की अनुमति दी है, लेकिन इसके रास्ते में कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में राम नवमी का जुलूस मुस्लिम बहुल इलाके काजीपारा होते हुए जाएगा। इस दौरान पूरे रास्ते में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। पश्चिम बंगाल में राम नवमी जुलूस पर हिंसा के मामले सामने आते रहे हैं। इसी वजह से पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हैं।

क्या हैं शर्तें?

  • कोलकाता हाई कोर्ट ने साफ किया है कि एक जुलूस में अधिकतम 500 राम भक्त शामिल हो सकते हैं। अंजनी पुत्र सेना के जुलूस में 500 और विश्व हिंदू परिषद के जुलूस में 500 भक्त शामिल हो सकते हैं।
  • जुलूस में शामिल होने वाले सभी व्यक्तियों की लिस्ट नाम और पहचान पत्र के साथ पहले ही पुलिस को देनी होगी।
  • लोहे या किसी दूसरी धातु से बना हुआ कोई हथियार या लाठी का प्रदर्शन जुलूस के दौरान नहीं किया जाएगा। भक्त सिर्फ पीवीसी (एक तरह का प्लास्टिक, जिसका इस्तेमाल घरों में लगे पाइप बनाने में होता है) से बना हुआ धार्मिक चिह्न लेकर ही जुलूस में शामिल हो सकते हैं।
  • अंजनीपुत्र सेना का जुलूस सुबह होगा और विश्व हिंदू परिषद का जुलूस शाम को होगा

अधिकारी बोले- ममता की पुलिस रोक रही

कोलकाता हाई कोर्ट से रामनवमी जुलूस निकालने की अनुमति मिलने पर पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “अपने धार्मिक त्योहार मनाना हमारा संवैधानिक अधिकार है, लेकिन ममता बनर्जी की पुलिस हमें रोक रही है। हमें हर मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हम हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।”

Red Max Media
Author: Red Max Media

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