

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने पारसनाथ पहाड़ी के धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह वह स्थान है जहां कई जैन तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया था, जिससे यह भारत और विदेशों में जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बन गया।
झारखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को जैन समुदाय के पवित्र तीर्थ स्थल पारसनाथ पहाड़ी की सुरक्षा के लिए उनके रीति-रिवाजों और धार्मिक मूल्यों के अनुरूप आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। यह आदेश जैन संगठन ‘ज्योत’ द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान जारी किया गया।
मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों, राज्य प्रतिनिधियों और याचिकाकर्ता की संयुक्त निरीक्षण टीम के गठन का आदेश दिया, ताकि स्थल का दौरा किया जा सके और इसकी मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके। अदालत ने कहा कि टीम के निष्कर्षों की समीक्षा के बाद एक अंतरिम आदेश पारित किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने पारसनाथ पहाड़ी के धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला, इसे वह स्थल बताया जहां कई जैन तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया था, जिससे यह भारत और विदेशों में जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बन गया है।
याचिका में शराब और मांस की बिक्री, अवैध अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण जैसी गतिविधियों के कारण स्थल की पवित्रता के क्षरण पर चिंता जताई गई।
याचिकाकर्ताओं ने पास के आंगनवाड़ी केंद्रों में अंडे बांटे जाने पर भी आपत्ति जताई और इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की सरकार की योजना की आलोचना की, चेतावनी दी कि इससे क्षेत्र का धार्मिक माहौल खराब हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है, जबकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 5 जनवरी, 2023 को जैन परंपराओं के अनुसार पहाड़ी को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को आश्वासन दिया कि प्रशासन जैन सहित सभी धार्मिक समुदायों की भावनाओं के प्रति सजग है।
उन्होंने पीठ को सूचित किया कि मांस की बिक्री को रोकने और पहाड़ी के आसपास अतिक्रमण को रोकने के लिए पहले से ही उपाय किए जा रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा, वकील इंद्रजीत सिन्हा, खुशबू कटारुका और शुभम कटारुका उपस्थित हुए।
