

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने की अनुमति दी, ट्रायल में नहीं हुआ था कोई नुकसान
सरकार ने कोर्ट को बताया कि पीथमपुर में कचरा जलाने के ट्रायल के दौरान कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसके बाद हाई कोर्ट ने पीथपमुर में कचरा जलाने की अनुमति दे दी है।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में हाईकोर्ट ने सरकार को पीथमपुर में यूनियन कर्बाइड का कचरा जलाने की अनुमति दे दी है। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि कचरा जलाने के ट्रायल के दौरान कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है। इसके बाद अदालत ने पीथमपुर संयंत्र में यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट के निपटान की अनुमति दे दी। यूनियन कार्बाइड के अपशिष्ट को धार जिले के निपटान संयंत्र में जलाने के परीक्षण का दूसरा चरण आठ मार्च को समाप्त हुआ था।
कचरा जलाने का दूसरा चरण छह मार्च को दोपहर 11 बजे शुरू हुआ था और आठ मार्च (शनिवार) को शाम सात बजकर एक मिनट पर समाप्त हुआ था। इस दौरान कुल 10 टन कार्बाइड कचरे को जलाया गया था। एक अधिकारी के अनुसार कचरा जलाने से निकलने वाली सभी गैसों की मात्रा स्वीकार्य सीमा के अंदर थी। उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित अन्य उपकरणों से वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी एकत्र किए जा रहे हैं।
18 फरवरी को अदालत ने दी थी अनुमति
जबलपुर हाईकोर्ट ने 18 फरवरी को पीथमपुर संयंत्र में यूनियन कार्बाइड के कचरे को ट्रायल के रूप में जलाने की अनुमति दी थी। 28 फरवरी को कचरा जलाने के ट्रायल का पहला चरण शुरू हुआ था। इस दौरान यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन कचरा जलाया गया था। अगले दिन कई महिलाओं ने कचरा जलाने का विरोध भी किया था, लेकिन पुलिस अधिकारियों के समझाने पर वह मान गई थीं।
1984 से पड़ा है कचरा
भोपाल में 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए तीन चरणों में किया जाना है। अपशिष्ट को जलाने के परीक्षण का पहला चरण तीन मार्च को संपन्न हुआ था।
