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मोहन भागवत ने किया 125 लड़कियों का कन्यादान

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वाराणसी में पिता बनकर 125 लड़कियों का कन्यादान किया।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने वाराणसी में पिता बनकर 125 लड़कियों का कन्यादान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विवाह समाज निर्माण का आधार है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत बुधवार को वाराणसी के खोजवां में अक्षय कन्यादान महोत्सव में शामिल हुए। यहां उन्होंने सामूहिक विवाह में पिता की भूमिका निभाकर सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। इस भव्य समारोह में सवर्ण, दलित और पिछड़े समाज के 125 जोड़ों का सामूहिक विवाह वैदिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ।

शंकुलधारा पोखरे पर आयोजित इस महोत्सव में डॉ. भागवत ने सोनभद्र के जोगीडीह गांव की वनवासी कन्या रजवंती का कन्यादान किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने बेटी के पांव पखारे और कन्यादान का संकल्प लिया, जिसने समारोह को भावुक और प्रेरणादायक बना दिया। रजवंती ने अपने धर्म पिता डॉ. भागवत के आशीर्वाद के साये में सोनभद्र के रेणुकूट निवासी आदिवासी युवक अमन के साथ सात फेरे लिए। इस दौरान डॉ. भागवत ने बेटी को नेग में 501 रुपये दिए और वर अमन को आशीर्वाद देते हुए कहा, “मेरी बेटी का खयाल रखना और उसे हमेशा खुश रखना।”

Akshay kanyadan

अक्षय कन्यादान कार्यक्रम

 

पारंपरिक परिधान में बारात की अगवानी

मोहन भागवत ने सफेद कुर्ता, पीली धोती और कंधे पर पीला गमछा पहने बारातियों का स्वागत कर पारंपरिक मूल्यों को जीवंत किया। 125 दूल्हों की बारात घोड़े, बग्घी और बैंड-बाजे के साथ द्वारकाधीश मंदिर से खोजवां पहुंची। रास्ते में स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों ने पुष्पवर्षा और जलपान के साथ बारात का अभिनंदन किया।

सामूहिक कन्यादान में गणमान्य नागरिकों की भागीदारी 

समारोह में 125 वेदियों पर शहर के विशिष्ट नागरिकों ने कन्यादान कर पिता की भूमिका निभाई। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया। महोत्सव को संबोधित करते हुए डॉ. भागवत ने कहा, “विवाह दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो कुटुंबों और समाज के निर्माण का आधार है। कुटुंब मकान की ईंट की तरह है, जो संस्कारों से मजबूत होता है।”

Akshay kanyadan

Image Source : INDIA TV
अक्षय कन्यादान

 

परिवार को पति-पत्ती और बच्चों तक सीमित न रखें

मोहन भागवत ने कन्यादान करने वाले अभिभावकों से नव दंपतियों से साल में कम से कम एक-दो बार मिलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि परिवार को केवल पति-पत्नी और बच्चों तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे समाज का अविभाज्य अंग मानकर कार्य करना चाहिए।

Red Max Media
Author: Red Max Media

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