

राजस्थान से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल राजस्थान के एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू के समीप जंगल एक बड़ा हिस्सा आग से जलकर खाक हो गया। इस आग के कारण हजारों पेड़ जलकर खाक हो गए। जानकारी के अनुसार करीब 24 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। वायुसेना के जवान भी काबू पाने में जुटे हैं।
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अग्निशमन और चिकित्सा आवश्यकताओं में सहायता के लिए दो वाटर बॉज़र और एक एम्बुलेंस के माध्यम से अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई। सेना के कुशल दस्ते अलग अलग टीमें प्रभावित क्षेत्र में जल्दी पहुंची और आग को और फैलने से रोकने के लिए उन्हें छोटी सामरिक इकाइयों में विभाजित किया गया।
आग पर सफलतापूर्वक पाया गया काबू
स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाओं के साथ भारतीय सेना के समय पर हस्तक्षेप ने आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया, जिससे पर्यावरण और संरचनात्मक क्षति को रोका जा सका। सेना के त्वरित और समन्वित प्रयासों ने जीवन, संपत्ति और वन्यजीवों की रक्षा की साथ ही नागरिको के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया।
भालुओं के बारे में जानकारी जुटाने में लगा प्रशासन
आग से झुलसे जानवरों विशेषकर भालुओं के बारे में वन विभाग जानकारी जुटा रहा है। रविवार को वायुसेना, सेना और केंद्रीय रिजर्व बल के जवान भी आग पर काबू पाने में जुटे। वन विभाग के अनुसार जंगल के करीब एक सौ हेक्टेयर इलाके में आग फैली हुई थी।
कहां से शुरू हुई आग?
शुरुआत में आबूरोड से करीब 17 किलोमीटर दूर गंभीरी नदी के नाले के पास से आग लगनी शुरू हुई और पूरे जंगल में फैली। बता दें कि माउंट आबू के जंगल में 800 से अधिक तरह की वनस्पतियों सहित औषधीय पौधे भी हैं।
यहां 250 तरह के पक्षी हैं, जिनमें 155 विशेष प्रजाति के हैं। माउंट आबू में वर्ष 2017 में हनीमून प्वाइंट, सनसेट प्वाइंट सहित अन्य 16 स्थानों पर भी आग लग गई थी। तब वायुसेना के हेलीकाप्टरों ने तीन दिन तक पानी का छिड़काव कर आग पर काबू पाया था।
